कलिंजरा थाना प्रभारी रविन्द्र सिंह ने बताया कि इस घटना को लेकर मौके पर एफएसएल टीम को बुलवाया गया। साथ वन विभाग एवं पशु चिकित्सकों की टीम पहुंची। दोनों मोर का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा गया गया। इस मामले में जेरपाड़ा निवासी महिला रंगी पत्नी गल्लू के खिलाफ वन्यजीव अधिनियम 1972 की धारा 51 एवं आईपीसी की धारा 428 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
यहां से शुरू हुआ विवाद सीआई सिंह ने बताया कि जेरपाड़ा निवासी दिनेश पुत्र पूना, कालू पुत्र कमजी, कालू पुत्र कमजी, शंकर पुत्र देवा व अर्जुन पुत्र देवा की मुर्गियां गांव में घरों के आस-पास एवं खेतों में दाना चुगती रहती थी। कुछ दिनों से मुर्गियों चने के खेत की तरफ जाने लग गई थी। इस पर रंगी ने कुछ दिन पहले ही चेताया था कि अगर मुर्गियों को खेत में आने से नहीं रोका गया तो इनका वह स्थाई उपचार कर देगी।
लेकिन इसके बाद भी किसी ने परवाह नहीं की और मुर्गियों का खेत में घुसना बंद नहीं हुआ। इस पर तैश में आई रंगी ने मक्का के बीजों में जहरीली दवाई मिलाई और खेत में डाल दिए। इसके बाद इन दानों के सेवन से छोटी-बड़ी करीब 22 मुर्गियों व दो मोर की मौत हो गई। दो मोर अचेत हो गए।