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बांसवाड़ा

देश में आपातकाल के समय बांसवाड़ा के इन नेताओं को भी सहना पड़ा अत्याचार, लोगों के लिए किया संघर्ष

भुलाए नहीं भूलते आपातकाल में संघर्ष के वो दिन…

बांसवाड़ाJun 25, 2018 / 01:42 pm

Ashish vajpayee

banswara

देश में आपातकाल के समय बांसवाड़ा के इन नेताओं को भी सहना पड़ा अत्याचार, लोगों के लिए किया संघर्ष

बांसवाड़ा. देश में 43 वर्ष पूर्व आपातकाल लगाया गया। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह एक काला धब्बा माना जाता है। आपातकाल में बांसवाड़ा जिले में भी कई लोगों ने संघर्ष किया। पुलिस की लाठियां खाई। गिरफ्तार हुए। जेल गए। आपातकाल को लेकर संघर्ष करने वालों से चर्चा की। उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय को बयां किया तो उनकी यादें ताजा हो गई। बांसवाड़ा में भाजपा के संस्थापक रहे और वर्तमान में घाटोल विधायक नवनीतलाल निनामा ने गत दिनों चर्चा में आपातकाल के दौरान स्वयं के साथ घटित घटनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तत्कालीन केंद्र सरकार लोकतंत्र का गला नहीं घोंटे, इसके लिए जन आंदोलन तैयार करने वे और श्रीपतराय दवे घाटोल और पीपलखूंट में लोगों की बैठक करते थे। पेम्पलेट वितरित करते थे। सरकार ने कई बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया था।
उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक देश के बड़े नेता जेल से नहीं छूटेंगे, वे अपने घर नहीं जाएंगे। दाढ़ी नहीं बनवाएंगे। इस दौरान कई बार पुलिस थानों में गए, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया। एक दिन करीब 40-45 पुलिसकर्मी घर पहुंचे। वे घर नहीं थे, तो पत्नी-बच्चों से पूछताछ करने के साथ मारपीट की। इसके बाद गांव में ढोल बजाया तो ग्रामीण एकत्र हो गए। पुलिस के साथ भिडं़त हुई। कई लोग घायल हुए। सुबह खैरवाड़ा से बड़ी संख्या में पुलिस पहुंची। कई लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन वे हाथ नहीं लगे। इस दौरान पता चला कि गांव में महिलाएं भी आक्रोशित होकर पुलिस से लडऩे को तैयार हैं। ऐसे में भाई हरदारिया के साथ दोपहर बाद घर लौटा, लेकिन रात 11 बजे पुलिस ने गिरफ्तार किया और बांसवाड़ा कोतवाली ले गए।
हरिदेव जोशी को इंदिरा गांधी ने बुलवाया
आपातकाल लागू होने के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांगे्रस के दिग्गज और मुख्यमंत्री रहे स्व. हरिदेव जोशी को दिल्ली बुलाया था। उस समय जोशी के पुत्र का विवाह था, लेकिन प्रधानमंत्री ने तत्काल दिल्ली पहुंचने का कहा। इसके लिए मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी वायुयान लेकर तलवाड़ा पहुंचे। यान की लैंडिंग के लिए जीपों और कारों की लाइटें चालू कराई गई। जोशी अपने पुत्र के विवाह की आरंभिक रस्म पूर्ण कराने के बाद सेठी के साथ दिल्ली रवाना हुए।
नग्न करके पीटा
बकौल निनामा पुलिस ने उन्हें कोतवाली में नग्न कर पीटा। कई यातनाएं दीं। बाद में दानपुर थाने लेकर तीन-चार दिन रखा। वहां पुलिस ने पेम्पलेट और हमारे आंदोलन के मुखिया के बारे में पूछा। मुखिया मालती देवी थी। उनके पति केशवचंद्र भ्राता को उदयपुर जेल में डाल दिया था। ऐसे हालातों में उन्होंने नाम नहीं बताया। वे बताते हैं कि उनके सहित सात जनों को छह माह तक जेल में रखा। इसके बाद मीसा कानून की धाराओं के साथ उदयपुर जेल ले गए, जहां उन्हें नौ माह तक रखा गया। आखिर संघर्ष का अंत हुआ और आपातकाल खत्म होने की घोषणा के बाद उन्हें रिहा किया गया।
एक बुरे सपने जैसा- मालती देवी
आपातकाल लोकतांत्रिक जनता दल की जिलाध्यक्ष मालतीदेवी के लिए भी बुरे सपने जैसा है। उन्होंने कहा कि आपातकाल को कभी नहीं भूल सकते। पति केशवचंद्र जेल में बंद थे। इलाज के अभाव में बेटी चन्द्रलेखा को खोया था। चन्द्रलेखा के तीन वर्ष व 13 दिन के दो बच्चों को संभाला। पति के जेल में बंद होने के बाद बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए ईंट तक बनाई थी। पति को पुलिस लाइन ले जाने के बहाने से रात दो बजे पुलिस घर से उठा ले गई थी। बेटी की मृत्यु के बाद पैरोल पर छोडऩे के लिए हरबंशसिंह ने दस हजार रुपए की जमानत दी थी।

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