आपातकाल लागू होने के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांगे्रस के दिग्गज और मुख्यमंत्री रहे स्व. हरिदेव जोशी को दिल्ली बुलाया था। उस समय जोशी के पुत्र का विवाह था, लेकिन प्रधानमंत्री ने तत्काल दिल्ली पहुंचने का कहा। इसके लिए मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी वायुयान लेकर तलवाड़ा पहुंचे। यान की लैंडिंग के लिए जीपों और कारों की लाइटें चालू कराई गई। जोशी अपने पुत्र के विवाह की आरंभिक रस्म पूर्ण कराने के बाद सेठी के साथ दिल्ली रवाना हुए।
बकौल निनामा पुलिस ने उन्हें कोतवाली में नग्न कर पीटा। कई यातनाएं दीं। बाद में दानपुर थाने लेकर तीन-चार दिन रखा। वहां पुलिस ने पेम्पलेट और हमारे आंदोलन के मुखिया के बारे में पूछा। मुखिया मालती देवी थी। उनके पति केशवचंद्र भ्राता को उदयपुर जेल में डाल दिया था। ऐसे हालातों में उन्होंने नाम नहीं बताया। वे बताते हैं कि उनके सहित सात जनों को छह माह तक जेल में रखा। इसके बाद मीसा कानून की धाराओं के साथ उदयपुर जेल ले गए, जहां उन्हें नौ माह तक रखा गया। आखिर संघर्ष का अंत हुआ और आपातकाल खत्म होने की घोषणा के बाद उन्हें रिहा किया गया।
आपातकाल लोकतांत्रिक जनता दल की जिलाध्यक्ष मालतीदेवी के लिए भी बुरे सपने जैसा है। उन्होंने कहा कि आपातकाल को कभी नहीं भूल सकते। पति केशवचंद्र जेल में बंद थे। इलाज के अभाव में बेटी चन्द्रलेखा को खोया था। चन्द्रलेखा के तीन वर्ष व 13 दिन के दो बच्चों को संभाला। पति के जेल में बंद होने के बाद बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए ईंट तक बनाई थी। पति को पुलिस लाइन ले जाने के बहाने से रात दो बजे पुलिस घर से उठा ले गई थी। बेटी की मृत्यु के बाद पैरोल पर छोडऩे के लिए हरबंशसिंह ने दस हजार रुपए की जमानत दी थी।