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बांसवाड़ा

80 फीसदी काम पूरा: 2016 में मंजूर दक्षिणी राजस्थान का पहला हैंगिंग ब्रिज इस दिसम्बर में पूरा होने के आसार

माही नदी के ऊपर से गुजरती कर्क रेखा के सर्वाधिक निकट करीब आधा किमी लम्बा यह पुल बनने से तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश की आपस में दूरी कम होगी, वहीं डूंगरपुर जिला भी मानगढ़धाम से सीधा जुड़ जाएगा।

बांसवाड़ाJun 09, 2024 / 12:16 pm

Akshita Deora

मंजूरी के आठ साल बाद भी बांसवाड़ा संभाग के डूंगरपुर जिले में माही-अनास एवं जाखम-संगमेश्वर नदी पर बन रहे दक्षिण राजस्थान के पहले हैंगिंग ब्रीज के निर्माण पर पीएमओ ने अब नजर गड़ाई है।

पीएमओ ने मॉनिटरिंग कर काम को गति देने और प्रोजेक्ट को इस साल के आखिरी माह में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार की सुस्त परियोजनाओं की मॉनीटरिंग अब खुद प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं। इनमें देरी के कारणों को लेकर नई दिल्ली में विभाग के आला अधिकारियों की बैठक बुलाई गई। इसी सिलसिले में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप वर्मा ने साइट देखकर हालात का जायजा लिया। अब उम्मीद है कि ब्रिज का काम तेज गति पकड़ेगा।

अब भी बीस फीसदी बाकी है काम

मौजूदा स्थिति यह कि ब्रिज के चीखली एवं आनंदपुरी के दोनों छोर में 16 पिलर बनकर तैयार हो गए हैं। ऊपरी हिस्से पर तार जोडऩे का कार्य जारी है। गुजरात के कडाणा डेम के जल विस्तार क्षेत्र में जहां माही-अनास नदी संगम पर ब्रिज बन रहा है, वहां गहराई 25 से 30 मीटर तक है। इस वजह से काम करने में परेशानी रही है। अधिकारियों की मानें तो अब तक 80 फीसदी काम पूरा हुआ है।

134 करोड़ है इस प्रोजेक्ट की कुल लागत

  • 99.16 करोड़ रुपए है सीआरएफ (केन्द्र से वित्त पोषित) स्वीकृति
  • 34.85 करोड़ रुपए है एसआरएफ (राज्य से वित्त पोषित)
  • 906 मीटर है ब्रिज की कुल लंबाई
  • 1-1 किलोमीटर दोनों तरफ है ब्रिज की पहुंच
  • 13 दिसम्बर, 2020 को शुरुआती कार्य पूरा होना था
  • 4 वर्ष रखरखाव कार्य की समयावधि अलग से है
  • 2023 के सितम्बर से लेकर अक्टूबर, 2024 तक बढ़ाई गई थी अवधि
  • 2024 के दिसम्बर तक एक बार और बढ़ी अवधि

नाव से पार करने के खतरे से मिलेगी मुक्ति

गौरतलब है कि केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय एवं राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग की इस परियोजना के तहत चीखली ग्राम पंचायत के बेडूआ गांव स्थित माही-अनास एवं जाखम-संगमेश्वर नदी एवं बांसवाड़ा के आनंदपुरी के मध्य करीब 134 करोड़ की लागत से हैगिंग ब्रिज निर्माण की मंजूरी वर्ष 2016 में हुई थी। यह काम दिसम्बर, 2020 में ही पूरा होना था, लेकिन अब तक रेंगता रहा। इस ब्रिज के बनने से लोगों को सडक़ मार्ग से लम्बा चक्कर लगाकर जाने या पानी के रास्ते नाव आसरा में बैठकर पार करने की मुश्किल से निजात मिलेगी।

वागड़ में, गुजरात वाया बांसवाड़ा बनेगी पहुंच

राजस्थान का पहला हैंगिग ब्रिज कोटा में है। उसी तकनीक पर यहां केबल स्टे ब्रिज बनाया जा रहा है। माही नदी के ऊपर से गुजरती कर्क रेखा के सर्वाधिक निकट करीब आधा किमी लम्बा यह पुल बनने से तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश की आपस में दूरी कम होगी, वहीं डूंगरपुर जिला भी मानगढ़धाम से सीधा जुड़ जाएगा।

काम की सुस्त चाल के कारण

  • पहले ब्रिज की डिजाइन को लेकर असमंजस
  • कोरोनाकाल और लॉकडाउन में काम ठप पड़ा
  • ब्रिज के मध्य गहराई व भौगोलिक स्थिति की सटीक जानकारी की कमी
  • राजनीतिक खींचतान और इच्छाशक्ति की कमी
  • बजट समय पर नहीं आना
चीखली के केबल स्टे ब्रिज निर्माण में देरी के कारणों को लेकर हाल ही राज्य के एसीएस ने दौरा किया। इसमें आ रही अड़चनें दूर करने के पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। 80 फीसदी निर्माण हो चुका है। दिसम्बर तक हर हाल में काम पूरा करवाया जाएगा।
– हरिकेश मीणा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पीडब्ल्यूडी, बांसवाड़ा

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