मीणा ने बताया कि 14 जनवरी को मोटी टिम्बी निवासी परिवादी शारीरिक शिक्षक आनंद कलासुआ ने एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने बताया कि स्कूल के प्रिंसिपल की ओर से बिल पास करने के एवज में रिश्वत राशि की मांग की जा रही है। अगस्त से लेकर नवंबर तक करीब एक लाख 15 हजार 914 रुपए बिल है। इसमें से करीब 62 हजार 914 रुपए तो दिसंबर 2017 में पास हो गया था। जबकि शेष राशि के बिल पास होना बाकी है। इसके एवज में प्रिंसिपल की ओर से 35 हजार रुपए की मांग की जा रही है। इस शिकायत के बाद 16 जनवरी को ब्यूरो की ओर से सत्यापन की कार्रवाई की गई।
टीम थोड़ा लेट होती तो बच जाता आरोपित ब्यूरो के अनुसार आरोपित ने रिश्वत राशि करीब 3:10 बजे प्राप्त की। विद्यालय का छुट्टी हो चुकी थी और प्रिंसिपल घर जाने के लिए अपने कक्ष के बाहर ही खड़ा हुआ था। अगर थोड़ी भी देर होती तो शिक्षक वहां से निकल जाता। रिश्वत का सौदा तय होने से पहले प्रिसिंपल रिश्वत की बात को लेकर विवाद कर चुका था। इससे शिक्षक तैश में आ गया था। तब उसने ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई थी।
ये बाहर कौन खड़ा है परिवादी जब रिश्वत की राशि लेकर भीतर गया, तो एकबारगी प्रिंसिपल को बाहर खड़े एसीबी के कार्मिकों की भनक लग गई। उसने राशि लेने के साथ ही परिवादी से ये भी पूछा कि ये बाहर कौन खड़ा है, जब परिवादी ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं तो प्रिंसिपल ने राशि लेकर पीछे की जेब में डाल दी। ं इशारा पाकर टीम ने प्रिंसीपल को दबोचा। प्रिंसिपल की बाइक में नकदी जेवरात भी मिले।
सत्यापन पर लिए दस हजार सत्यापन के दौरान आरोपित नरेश कुमार ने सबसे पहले 38 हजार की मांग रखी। इस पर दोनों के बीच बहस हुई तो बात सौदा 35 हजार में तय हो गया। इसके बाद सत्यापन के दौरान ही शारीरिक शिक्षक ने दस हजार रुपए प्रिंसिपल को दे दिए। साथ ही शेष राशि 25 हजार रुपए चेक के क्लियर होने के बाद देना तय हो गया। बुधवार को जैसे ही पीटीआई ने 25 हजार रुपए प्रिंसिपल को दिए, ब्यूरो की टीम ने पहुंचकर प्रिंसिपल को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।