प्रकरण में अभियोजन की ओर से पेश साक्ष्यों के आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बांसवाड़ा ने माना कि आरोपी राकेश लीमथान निवासी राकेश पुत्र हीरालाल कलाल नाजायज शराब का कारोबार करने का आदतन अपराधी रहा है। कोर्ट ने मौजूदा मामले में दोष सिद्ध होने पर उसे कड़ी सजा सुनवाई। गौरतलब है कि आरोपी राकेश के लीमथान स्थित रिहायशी मकान पर 7 जुलाई 2010 की शाम सहायक निदेशक आबकारी प्रवर्तन ने टीम के साथ छापा मारा था। वर्दीधारी आते देखकर आरोपी राकेश पीछे के दरवाजा से भाग निकला। दल ने घेराबंदी कर उसे दबोचा और वापस मकान पर लाए। भीतर घुसते ही एक कमरे में शराब के कर्टन की थड़ी लगी हुई थी। उन्हें देखने पर मालूम हुआ कि शराब राजस्थान में बिक्री पर प्रतिबंधित और हरियाणा में बिक्री के लिए ही अधिकृत है। इनमें दो कर्टन में 24 बोतल, दो कर्टन में 96 पव्वे हरियाणा के थे, वहीं एक कर्टन में 26 पव्वे चंडीगढ़ के लिए अधिकृत पाई गईं। इसके अलावा सात कर्टन में 84 बोतल बीयर और तीन कर्टन में 144 पव्वे सादा देसी मदिरा के भरे हुए मिले। इस शराब को लेकर कोई अनुज्ञा पत्र नहीं था। दल ने जब्त शराब की रसायनिक जांच के लिए नमूने लिए और शराब जब्त कर आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। इस पर नुवाई के बाद सीजेएम दीपककुमार सोनी ने आरोपी राकेश को 19/54 राजस्थान आबकारी अधिनियम के अपराध में दोषी मानते हुए तीन साल के कठोर कारावास की सजा के साथ ही 20 हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है। फैसले में जुर्माना अदा नहीं करने की सूरत में आरोपी को छह माह का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगताने की व्यवस्था दी गई।