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Editors Take Rajasthan : वागड़ में मोदी लहर के कहर से फिर डूबी कांग्रेस की नैया, बीटीपी ने भी दिया झटका

विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस को बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर झटका मिला। यहां बीटीपी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की सफलता हासिल की, लेकिन मोदी लहर के सामने यह प्रयास बौने साबित हुए और वागड़ में मोदी लहर के कहर से कांग्रेस की नैया फिर डूब गई ।

बांसवाड़ाMay 24, 2019 / 07:26 pm

deendayal sharma

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वागड़ में मोदी लहर के कहर से फिर डूबी कांग्रेस की नैया, बीटीपी ने भी दिया झटका

वरुण भट्ट. बांसवाड़ा. एक बार फिर मोदी सरकार…। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की ओर से देश की आम जनता के बीच दिया गया नारा आखिरकार सच में बदल गया। जनता ने अपेक्षा से अधिक भाजपा से आत्मीयता दिखाई। मतदाता ने मतदान के परिणामों को जादुई आंकड़ों में बदल दिया। यही परिणाम है कि मतदाता ने राजस्थान प्रदेश की 25 लोकसभा सीटें भाजपा को सौंप दी। इस चुनावी हवन में दक्षिण राजस्थान की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट का भी विशेष योगदान रहा है।
प्रदेश के दक्षिण अंचल में शामिल बांसवाड़ा जिले से मुख्यमंत्री रहे स्व. हरिदेव जोशी के जमाने से कांग्रेस का गढ़ रही बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को अब तक की सबसे बड़ी हार दी है। वहीं अपनी सीट को बरकरार रखने में भी सफलता हासिल की।
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सीट पर हुए इस चुनाव में सबकी निगाहें पहली बार लोकसभा में भाग्य अजमा रही भारतीय ट्राइबल पार्टी पर थी। इसे लेकर दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रतिनिधि भी अनिश्चय की स्थिति में थे। बीटीपी ने प्रदर्शन से राजनीतिक प्रेक्षकों के आंकलन को सही भी ठहराया और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की सफलता हासिल की। हालांकि, यह प्रयास भी मोदी लहर के सामने बौने साबित हुए। वहीं विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस को भी यहां झटका मिला। इस संसदीय सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में 12 बार कांग्रेस जीती है। वहीं भाजपा तीन बार और एक-एक बार जनता दल और भारतीय लोकदल के प्रत्याशी सांसद चुने जा चुके हैं। बदलती तस्वीर का इशारा साफ है कि आदिवासी वोट बैंक अब कांग्रेस के हाथ से खिसक रहा है। बीटीपी प्रत्याशी ने ढाई लाख से अधिक वोट लाकर कांग्रेस की राह मुश्किल बना दी। लेकिन, सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि बीटीपी और कांग्रेस प्रत्याशी के वोटों को जोड़ भी दें तब भी भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा के वोट ज्यादा रहे हैं। ऐसे हालात तब रहे जब विधानसभा चुनाव में कुल 9 सीट में 3 सीट कांग्रेस के हाथ रही। एक में कांग्रेस की बागी उम्मीदवार जीती थी। पूरे चुनावी प्रचार में कांग्रेस की गुटबाजी व भीतरघात सामने आई। वहीं भाजपा ने मोदी टॉनिक से पूरे जोश के साथ चुनाव लड़ा। भाजपा को संघ का साथ मिला। वहीं विधानसभा चुनाव में जोरदार प्रदर्शन से बीटीपी को लेकर बने खौफ ने भी भाजपा समर्थकों को लामबंद किया। भाजपा समर्थकों ने जमकर वोटिंग की और इसी वजह से जीत का अंतर और बड़ा हो गया।
चुनाव में कांग्रेस ने रोजगार, रफाल के मसले पर भाजपा को घेरने और गरीब के खाते में 72 हजार डालने का वादा कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया, जबकि आजादी के बाद से अधूरे पड़े रेलवे परियोजना के मुद्दे से जनता को पक्ष में करने का प्रयास किया, लेकिन भाजपा विकास के अपने काम और मोदी के नेतृत्व को भुनाने में डटी रही। लोगों पर मोदी मैजिक ऐसा सिर चढकऱ बोला कि मैदान में विपक्षी टिक नहीं पाए।

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