हमलावर सोहराब पर फायरिंग करने से पहले शहर के हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में रहे। इसके बाद लंबे समय तक कन्धारवाड़ी इलाके में रहे। इसके बाद भी किसी भी मकान मालिक ने इनकी संदिग्धता को नहीं पहचाना और न ही इनका सत्यापन कराना उचित समझा। जबकि हाड़ौती के सभी पांचों शूटर यहां अपनी पहचान छुपाते हुए फिर रहे थे। आरोपितों ने शहर का हाउसिंग बोर्ड भी इसलिए छोड़ा क्योंकि किसी को शक न हो और वे पकड़ नहीं जाएं। बाद में पांचों आरोपित कन्धारवाड़ी में रहने के लिए आ गए और वहीं के लोगों में घुल मिल गए।
अभी भी नहीं ले रहे सबक जानकारों के अनुसार साम्प्रदायिक दंगे से बांसवाड़ा के सुलग उठने से लेकर बड़े पैमाने पर हथियारों की खेप बांसवाड़ा पहुंचने एवं विस्फोटक पदार्थों की बरामदगी, हत्याकांड सहित अन्य अपराधिक गतिविधियों के सामने आने और इन अपराधों में बाहरी लोगों का हाथ सामने आने के बाद भी किरायेदारों के सत्यापन के काम में ढिलाई का रवैया बदल नहीं रहा है। लोग स्वयं की सुरक्षा को लेकर ही सजग नहीं है। लोग किराएदार, घरेलू नौकर, चालक, चौकीदार, निजी कर्मचारी एवं सैल्समैन से लेकर अन्य का पुलिस सत्यापन नहीं करवा रहे हैं।
घर बैठे सत्यापन में भी परेशानी सत्यापन अब घर बैठे भी किया जा सकता है। पुलिस की बेव साइट्स एवं राज कॉर्प से कोई भी घर बैठे सत्यापन कर सकता है। इसके लिए संबंधित फोटो, नाम, मोबाइल नंबर, घर का स्थाई एवं कार्यस्थल का पता भरना पड़ता है। इसके बाद पुलिस की ओर से स्वयं अपने स्तर से उसका सत्यापन कर लिया जाता है, लेकिन इसमें भी किसी की दिलचस्पी सामने नहीं आई है।
ई-मित्र से भी किया जा सकता है सत्यापन की प्रक्रिया अपने नजदीकी किसी भी ई-मित्र से भी हो सकती है। ई-मित्र से ऑन लाइन आवेदन कर संबंधित की सभी जानकारियां भरनी पड़ती है। इसके बाद पुलिस करीब सात दिनों के तस्दीक कर अपने स्तर से सत्यापन करती है। इस जांच में आपराधिक रिकॉर्ड से लेकर चाल चलन एवं चरित्र के बारे में भी पूरी जानकारी आ जाती है।