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बांसवाड़ा

वागड़ के लोगों को डायबिटीज से बचा रही बेहतर दिनचर्या और खानपान

विश्व मधुमेह दिवस पर विशेष, बेहतर दिनचर्या और संतुलित भोजन के कारण बांसवाड़ा में लोग इसके चंगुल से बचे हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में महज 5 से 10 फीसदी औ

बांसवाड़ाNov 14, 2017 / 01:15 pm

Ashish vajpayee

world diabetes day special
आशीष बाजपेई. बांसवाड़ा. ‘मीठी मौत’ याानी शुगर, डायबिटीज या मधुमेह। शब्दो में भले मीठापन लगे लेकिन बीमारी उतनी ही घातक। वागड़ में गरीबी है, अभाव है, पिछड़ापन है, लेकिन पूरी दुनिया में पैर पसार रही मधुमेह की बीमारी केे मामले में जिला जरूर थोड़ा राहत में है। डाक्टरों के मुताबिक मधुमेह के अनुवांशिक कारणों पर तो किसी का नियंत्रण नहीं है, लेकिन वागड़वासियों की जीवन शैली, उन्हें फिलहाल इस रोग से अन्य लोगों की अपेक्षा थोड़ा बचाए हुए है और जब तक वे खान- पान फास्ट फूड की संस्कृति से दूर है, उनका हाड़ तोड़ मेहनत से नाता है। रहन- सहन में पाश्चात्य संस्कृति का पुट कम है, तनाव कम है, तब तक वे इस रोग के विकराल रूप से बचे रह पाएंगे।
बेहतर दिनचर्या और खानपान का अहम रोल

एनसीडी ( नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कारडियो वसकुलर डिसीज एंड स्ट्रोक) के जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. केजी टेलर का कहना है कि मधुमेह से वागड़वासियों के इस रोग से बचे रहने के पीछे यहां की जीवनचर्या का अहम योगदान है। शुगर मुख्यतौर पर जेनेटिक होती है। इसके अलावा बिगड़ी दिनचर्या और खानपान इस बीमारी से ग्रसित होने के अहम कारण हैं। बेहतर दिनचर्या और संतुलित भोजन के कारण बांसवाड़ा में लोग इसके चंगुल से बचे हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में महज 5 से 10 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 15 से 20 फीसदी लोग ही मधुमेह से ग्रसित हैं।
जाने मधुमेह को

फिजीशियन डॉ. निलेश परमार ने बताया कि हमारे शरीर के अग्न्याशय में इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण खून में ग्लूकोज स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो उस स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। इंसुलिन हार्मोन के बिना हमारा शरीर शुगर मात्रा को कंट्रोल नहीं कर पाता। जब ग्लूकोज का बढ़ा हुआ लेवल हमारे रक्त में लगातार बना रहता है तो यह शरीर के कई अंगो को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, जिसमें आंखें, मस्तिष्क, हृदय, धमनियां और गुर्दे प्रमुख हैं।
डायबिटीज के लक्षण

– अधिक प्यास लगना
– बार-बार पेशाब लगना
– आंखों की रोशनी कमजोर होना
– शरीर में कमजोरी महसूस होना
– कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना
– रोगी के हाथ, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म
– त्वचा का बार-बार संक्रमित और फोड़े-फुंसियां निकलना
– भूख ज्यादा लगना
– ज्यादा खाना खाने के बाद भी रोगी का भार कम होना
– चक्कर आना और हृदय गति अनियमित होने का खतरा
– किडनी खराब होना
डायबिटीज के कारण

-जेनेटिक (अनुवांशिक)
– खान पान और मोटापा
अन्य कारण
शारीरिक श्रम न करना
मानसिक तनाव और डिप्रेशन
ज्यादा दवाइयों के सेवन
ज्यादा चाय, दूध, कोल्ड ड्रिंक्स और चीनी वाले खाने के सेवन
धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
मधुमेह का इलाज और बचाव

– बिना चिकित्सक की सलाह के किसी दवा का सेवन न करें
– तनाव न करें
– एक्सरसाइज या मैडिटेशन अवश्य रूप से करें
– अच्छी नींद लें। साथ ही अपने वजन को कण्ट्रोल में रखें
– संतुलित आहार (हरी सब्जियां, अनाज, दाले) का सेवन करें
– फास्ट फूड, घी तेल से बनी चीजें, ज्यादा मीठी चीजे या फैट वाले भोजन से दूर रहें
– मीठे फलों और जूसों से भी परहेज करें। इसमें आम, लीची, केला, अंगूर, चीकू, शरीफा शामिल हैं।
– शुगर लेवल की जांच कराएं। पैरो में सून्नपन आने को चेतावनी के रूप में लें।
योग भी लाभकारी है

वरिष्ठ आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षक विरल पंड्या राजपुरोहित ने बताया कि मधुमेह के उपचार के लिए और इसे नियंत्रित करने के लिए योग काफी लाभकारी है। मरीज को अर्ध मछेन्द्रासन, नटराज आसन, कपालभाति प्राणाया, अनुलोम विलोम और मंडूकासन करने की सलाह दी जाती है।
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