प्रदेश के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, अलवर, बारां, भरतपुर, दौसा, जयपुर, जैसलमेर, सीकर, उदयपुर, कोटा, सवाईमाधोपुर व प्रतापगढ़ में आदर्श शौचालय निर्माण की उपलब्धि शून्य है। बांसवाड़ा की 343 पंचायतों में से एक में भी आदर्श शौचालय नहीं बना है।
प्रदेश में आदर्श शौचालय निर्माण का औसत 10.51 प्रतिशत है। कई जिले इससे भी नीचे के स्तर पर हैं। करौली में 9.25, पाली में 8.10, जालौर में 8.3, भीलवाड़ा में 6.25, बाड़मेर में 5.11, सिरोही में 4.32, नागौर में 1.71, हनुमानगढ़ में 1.59 तथा चित्तौडगढ़़ में 0.69 प्रतिशत ही आदर्श शौचालय बने हैं, जो प्रदेश के औसत से भी कम है।
शौचालय निर्माण के लिए केंद्र सरकार की ओर से राशि मिलने के बाद भी प्रदेश में सवा चार लाख से अधिक लाभार्थी भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। डूंगरपुर में 50202, बांसवाड़ा में 37717, उदयपुर में 37359, करौली में 34131, जयपुर में 33244, प्रतापगढ़ में 29909, दौसा में 25112, बीकानेर में 22132, पाली में 17251, भरतपुर में 17165, अलवर में 11464, नागौर में 10973, चित्तौडगढ़़ में 10967 तथा भीलवाड़ा में 10006 शौचालयों का भुगतान बकाया है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत होने वाली विभिन्न गतिविधियों और लाखों शौचालयों का भुगतान बकाया देखते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई है। उन्होंने जिला कलक्टर व मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को सौ फीसदी उपलब्धि व शीघ्र भुगतान की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत विशेष राष्ट्रीय जागरूकता को लेकर प्रत्येक ग्राम पंचायत में चार पेंटिंग और एक खुले में शौच मुक्त का बोर्ड लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसमें भी लापरवाही बरती जा रही है। बांसवाड़ा में 7050 के लक्ष्य के मुकाबले तीन, बारां में 5510 व हनुमानगढ़ में 9130 के मुकाबले सात-सात, अजमेर में 5490 के मुकाबले 92, जैसलमेर में 3320 के मुकाबले 13, गंगानुर में 13970 के मुकाबले 62 तथा भरतपुर में 7135 के लक्ष्य के मुकाबले 93 प्रतिशत उपलब्धि ही अर्जित की गई है।