दरअसल, बाहर से बगैर टेंडर भोजन व्यवस्था की छूट पर सिफारिश से शहर के एक टिफिन सेंटर से हुई व्यवस्था में भोजन लाने का इंतजाम अस्पताल स्तर से रहा। डिस्पोजेबल प्लेट अनिवार्य की गई, तो 4-5 रुपए अतिरिक्त के साथ पानी की बोतल का पैसा भी जुड़ा। सेंटर सर्वसाधारण को 60 रुपए में भोजन मुहैया करवाता है, लेकिन यहां उसकी दर 80 रुपए करने के बाद प्लेट और पानी का पैसा मिलाकर आंकड़ा 95 रुपए पहुंचा दिया गया। अब जबकि मई महीने में ही 700 से ज्यादा भोजन पैकेट सुबह-शाम के हो गए तो 95 रुपए प्रति पैकेट के अनुसार दो किस्तों में 66 हजार 880 और 20 हजार 400 रुपए यानी 87 हजार 280 रुपए का भुगतान किया गया और अभी व्यवस्था जारी है।
खास बात यह है कि यहां सेंपलिंग के लिए लाए सैकड़ों लोग क्वॉरंटीन करने पर वागड़ धर्मशाला की ओर निशुल्क भोजन दिया जा रहा है। इनके लिए अस्पताल प्रशासन को मात्र प्लेट ही मंगवानी पड़ रही है, वरना भोजन व्यवस्था का झोल और बढ़ता। हालांकि तर्क यह दिया जा रहा है कि कोविड में प्रति व्यक्ति भोजन के लिए 280 रुपए तक बजट है और इसके मुकाबले यहां 190 ही खर्च किया जा रहा है।
कोविड के दौर में बगैर टेंडर आवश्यक सामग्री खरीद की छूट है। मरीजों और उपचार कर रही टीम के लिए स्टाफ सदस्य के सुझाव पर इंतजाम किया है। एनएचएम से आए 2 लाख के बजट से 95 रुपए प्रति डाइट भोजन का भुगतान कर रहे हैं।
– हरिप्रसाद गुप्ता, सहायक लेखाधिकारी एमजी अस्पताल