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बांसवाड़ा : गली-मोहल्ले में विभाग के करीब 6 हजार कार्मिक, फिर भी बाल विवाह की सूचना तक नहीं मिलती, कैसे लगे लगाम

बाल विवाह के रोकथाम में उदासीनता

बांसवाड़ाMay 14, 2018 / 01:31 pm

Ashish vajpayee

banswara
केस 1 : आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करा रही थी पोते का बाल विवाह
सज्जनगढ़ क्षेत्र के एक गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उसके पोते का ही बाल विवाह करा रही थी। इस बाल विवाह को रोकने के लिए नाबालिग की मां ने प्रशासन से गुहार लगाई। जिस पर प्रशासन से गांव पहुंच नाबालिग की दादी और उसके उसके पिता को बाल विवाह न कराने के लिए पाबंद किया। गौर करने वाली बात यह है कि नाबालिग का पिता भी एक सरकारी कार्मिक है।
केस 2 : आंगनवाड़ी केंद्र के बगल में शादी
सज्जनगढ़ क्षेत्र में ही आंगनवाड़ी केंद्र के ठीक बगल में बाल विवाह सम्पन्न कराया जा रहा था। लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगी या सहायिका ने विभाग को सूचना देना भी जरूरी नहीं समझा। अन्यत्र से सूचना मिलने के बाद दल मंौके पर पहुंचा और बाल विवाह रुकवाया।
बांसवाड़ा. बाल विवाह की रोकथाम के लिए कानून तो है लेकिन इसकी पालना में सरकारी लवाजमा उदासीन है। हाल यह है कि गांव गांव में आंगनवाड़ी कार्यकताओं की फौज है लेकिन उसे बाल विवाह की सूचना तक नहीं मिलती और जब बारात गांव में पहुंच जाती है या कोई शिकायत देदे तो ही उसे भनक लगती है और तब पाबंद करने की कार्रवाई हो पाती है। विभाग की ओर से प्रत्येक गांवों में आंगनवाड़ी केंद्र स्थापित किए गए हैं। हैरत की बात है कि स्थानीय होने और गांव में ही कार्य करने एवं घर-घर तक पहुंच होने के बाद भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बाल विवाह की भनक तक नहीं लग पाती है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की इस लचर कार्यशैली के कारण ही जिले में बाल विवाह पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
विभाग के 6 हजार कार्मिक
जिले में वर्तमान समय में 2064 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कार्यरत हैं। जिसमें 132 कार्यकर्ताएं मिनी सेंटर पर कार्यरत हैं। इसके अलावा 1899 आशा सहयोगी, 1917 सहायिकाएं कार्य कर रही हैं। यानी की एक आंगनवाड़ी केंद्र पर आंनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ ही आशा सहयोगी और सहायिका कार्य करती हैं, जिले में जिनकी कुल संख्या 5934 हैं। इसके बाद भी दुर्भाग्य की बात है कि इन कार्मिकों के द्वारा विभाग को बाल विवाह की सूचना तक नहीं मिलती है।
झगड़े का डर रहता है
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सूचना देने में डरते हैं। कार्रवाई के बाद ग्रामीण इन्हें परेशान करते है। इसलिए कार्मिक सूचना देने में कतराते हैं। पूर्व में कुछ एक घटनाएं भी हो चुकी हैं।
रेखा दशोरा, कार्यवाहक, उप निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग

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