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दिल्ली की तंग गलियों जैसे ही बांसवाड़ा के हाल, हर गली में फैला है तारों का जंजाल- ‘भगवान करे कभी आग न लगे…’

Fire In Delhi, Fire In Banswara : तंग गलियों में बहुमंजिला भवन, आग लगने पर छोटी दमकल भी नहीं

बांसवाड़ाDec 12, 2019 / 04:35 pm

deendayal sharma

दिल्ली की तंग गलियों जैसे ही बांसवाड़ा के हाल, हर गली में फैला है तारों का जंजाल- ‘भगवान करे कभी आग न लगे...’

दिल्ली की तंग गलियों जैसे ही बांसवाड़ा के हाल, हर गली में फैला है तारों का जंजाल- ‘भगवान करे कभी आग न लगे…’


बांसवाड़ा. गुजरात के सूरत में कोचिंग सेंटर में लगी आग हो या नई दिल्ली का अग्निकांड, बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने के बाद भी बांसवाड़ा में जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। बांसवाड़ा शहर की तंग गलियों में वर्षों पहले निर्मित दो से तीन मंजिला मकान हैं, तो भीतरी बाजार में कई जगह गोदाम, रेस्टोरेंट और दुकानें हैं। इन सबके बीच फैला है तारों का जंजाल। सूरत अग्निकांड के बाद कुछ भवनों में अग्निशमन व्यवस्था की जांच कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा के प्रति अनदेखी कभी भी किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। दिल्ली में हुए अग्निकांड के बाद बांसवाड़ा शहर के भीतरी हिस्सों की पड़ताल की तो यही प्रार्थना निकली कि चंद्रपोल दरवाजे से किशनपोल, सूरजपोल तक फैले बाजारों, मोहल्लों और तंग गलियों में कभी आग न लगे। संकरे रास्तों और गलियों में फैले भीतरी शहर में चारों ओर तारों का जंजाल फैला है। भीतरी शहर में चंद्रपोल से पीपली चौक, दर्जीवाड़ा, नागरवाड़ा, सदर बाजार, ओसवालवाड़ा, लोहारवाड़ा, आजाद चौक, तलहटी महल, श्रीराम बाजार, उपली पोल, निचली पोल, भागीपोल, तलवाडिय़ों का मोहल्ला जैसे कई ऐसे इलाके हैं, जहां कभी आग लगने जैसी अप्रिय घटना पर दमकल को पहुंचने में मुश्किल हो सकती है। इन क्षेत्रों में पहुंचने के मार्ग पहले ही संकरे हैं। इसके बाद सडक़ किनारे वाहनों के खड़े रहने और बिजली की लटकते तारों के कारण और अधिक समस्या है।
नहीं पहुंच पाई थी दमकल, छोटा वाहन नहीं : – कुछ दिनों पहले ही भीतरी शहर के पैलेस रोड पर एक मकान में आग लगने की घटना हुई थी, लेकिन वहां दमकल नहीं पहुंच पाई। इस कारण संबंधित परिवार के लोगों और क्षेत्रवासियों ने ही काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया था। वहीं कुछ समय पहले आजाद चौक क्षेत्र में एक प्रतिष्ठान में लगी आग के दौरान भी दमकल नहीं पहुंच पाई थी। नगर परिषद के पास वर्तमान में पांच वाहन हैं। यह वाहन पांच हजार से लेकर 20 लीटर पानी की क्षमता के हैं। भीतरी शहर के लिए कोई ऐसा छोटी जीप या बाइक दमकल नहीं है, जिससे अप्रिय घटना होने पर तत्काल मौके पर पहुंचा जा सके। सूरत में हुए अग्निकांड के बाद नगर परिषद के फायर ऑफिसर ने शहर के कोचिंग सेंटरों, होटल्स और निजी अस्पतालों में अग्निशमन की स्थितियों का जायजा लिया था। इनमें कुछ ही संस्थाओं में आग बुझाने वाले संयंत्र मिले, अधिकांश में फायर एनओसी व आग से बचाव के संसाधन नजर तक नहीं आए। इस पर नोटिस जरूर थमाए गए, लेकिन कुछ दिनों बाद ही सारी कवायद फाइलों में बंद हो गई।

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