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बांसवाड़ा

नगर परिषद का करोड़ों का राजस्व शेष पर वसूली के लिए न राजस्व अधिकारी, न निरीक्षक, लिपिकों के भरोसे चल रहा काम

बांसवाड़ा नगर परिषद के नए बोर्ड ने राजस्व वसूली को प्राथमिकता देने का निर्णय किया है, लेकिन राजस्व रूपी किला फतेह करने के लिए परिषद के पास ‘सेना’ ही नहीं है। हालात यह है कि करोड़ों रुपए की वसूली शेष है व यहां अधिकारियों के पद ही रिक्त हैं। ऐसे में कार्मिकों के भरोसे कितनी राशि की वसूली हो पाएगी, यह भविष्य के गर्भ में है।

बांसवाड़ाDec 11, 2019 / 10:39 am

deendayal sharma

नगर परिषद का करोड़ों का राजस्व शेष पर वसूली के लिए न राजस्व अधिकारी व निरीक्षक, लिपिकों के भरोसे चल रहा काम

नगर परिषद का करोड़ों का राजस्व शेष पर वसूली के लिए न राजस्व अधिकारी व निरीक्षक, लिपिकों के भरोसे चल रहा काम

बांसवाड़ा. नगर परिषद के नए बोर्ड ने राजस्व वसूली को प्राथमिकता देने का निर्णय किया है, लेकिन राजस्व रूपी किला फतेह करने के लिए परिषद के पास ‘सेना’ ही नहीं है। हालात यह है कि करोड़ों रुपए की वसूली शेष है व यहां अधिकारियों के पद ही रिक्त हैं। ऐसे में कार्मिकों के भरोसे कितनी राशि की वसूली हो पाएगी, यह भविष्य के गर्भ में है।बांसवाड़ा नगर परिषद की आर्थिक स्थिति कमजोर है। कई बार नियमित कर्मचारियों को वेतन भुगतान भी देरी से करने को नगर परिषद को विवश होना पड़ा है। अब नए सभापति ने परिषद को कमजोर आर्थिक स्थिति से उबारने के लिए विभिन्न मदों में वसूली प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसमें आवासीय भवनों के बाहर बनी दुकानों से व्यवसायिक शुल्क, स्ट्रीट वेण्डर को लाइसेंस देकर प्रतिमाह शुल्क, वाटिकाओं का पंजीयन कर शुल्क, एमबीएम के अन्तर्गत यूजर्स चार्ज वसूलने और परिषद की दुकानों का 10 प्रतिशत अनुसार पिछले वर्षो के किराये में वृद्धि करने का निर्णय किया है। इसके अतिरिक्त राजस्व वृद्धि के लिए व्यवसायिक भवनों का निर्माण कर किराए पर देने और अम्बामाता मार्केट में व्यवसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण की कार्ययोजना भी प्रस्तावित है, लेकिन शुल्क वसूली परिषद के लिए आसान नहीं है।यहां इतना बकाया -होटल्स से 50 लाख 20 हजार से अधिक-पेट्रोल पम्प्स से 15 लाख 60 हजार -सिनेमागृहों से 20 लाख 43 हजार से अधिक -व्यवसायिक मॉल व शोरूम आदि से एक करोड़ -36 लाख से अधिक करीब पौने तीन सौ संस्थानों व आवासीय शुल्क की करीब 73 लाख 75 हजार से अधिक राशि बकाया है। पहले ही धन का टोटा नगर परिषद में कर्मचारियों के वेतन मद में सवा करोड़ रुपए से अधिक की राशि की आवश्यकता प्रतिमाह होती है और राज्य सरकार की ओर से इस मद में करीब 40 फीसदी कम राशि मिल रही है। इससे कई बार कर्मचारियों को देरी से वेतन का भुगतान होता रहा है। कई कार्मिकों के सेवानिवृत्त होने के बाद का भुगतान भी शेष है। वहीं प्रशासनिक निर्देशों के तहत भी परिषद पर खर्च थोपा जाता रहा है, जिससे धन संकट की स्थिति बनी रहती है।कनिष्ठ अभियंता पर जिम्मा नगर परिषद की राजस्व शाखा में कार्मिकों की कमी है। आय वृद्धि और वसूली का जिम्मा राजस्व शाखा पर है, लेकिन परिषद में वर्षों से राजस्व अधिकारी का पद ही नहीं भरा गया है। करीब डेढ़ वर्ष पहले यहां राजस्व निरीक्षक कार्यरत होने से वसूली ने रफ्तार पकड़ी थी, लेकिन उनके जाने के बाद राजस्व निरीक्षक का जिम्मा कनिष्ठ अभियंता को सौंप रखा है।दोहरी जिम्मेदारी के चलते वसूली धीमी पड़ गई है। ऐसे में करीब तीन करोड़ रुपए की वसूली नहीं हो पा रही है। वहीं शहर का विकास नहीं होने का रोना रोने वाली जिम्मेदार संस्थाएं भी बकाया राशि जमा कराने में कोताही बरत रही हैं, जिसका सीधा असर परिषद की आय पर पड़ रहा है। इनका कहना है…नगर परिषद आयुक्त पीएल भाबोर का कहना है कि राजस्व अधिकारी व निरीक्षक नहीं है। वसूली धीमी जरूर है, लेकिन अब इसमें तेजी लाने का प्रयास करेंगे। अन्य कार्मिकों की भी ड्यूटी लगाएंगे।

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