विधायक रोत ने बताया कि पिछली सरकार ने मां-बाड़ी केंद्र पर 700 रुपए की मिठाई देने की बात कही थी, लेकिन धरातल पर बच्चों को कुछ नहीं दिया गया। फर्जीवाड़ा किया जाता है। योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है।
इधर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी रोत की बात का समर्थन करते हुए कहा कि 70 वर्ष के बाद भी छोटे बच्चों को परिवार चलाने के लिए गिरवी रखने की घटनाएं विचारणीय हैं। ऐसी घटनाएं पूरे राजस्थान पर धब्बा है। इसे रोकने के लिए सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर गंभीरता से पहल करनी होगी। इस दौरान गिरवी रखे गए बच्चों के संबंध में दर्ज जानकारियां भी पेश की गई।
दो दिवसीय दौरे पर बांसवाड़ा आए राजस्थान बाल संरक्षण आयोग सदस्यों ने दूसरे दिन मंगलवार को घाटोल पंचायत समिति के चुडंई गांव का दौरा किया, जहां सदस्य डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या एवं विजेंद्र सिंह ने एक वर्ष के बालश्रम अनुबंध पर परिजनों के द्वारा गडरियों को दिए गए बच्चों के माता-पिता से मुलाकात की। उन परिवारों से कारणों के बारे में जानकारी ली। सदस्यों से बातचीत के बाद परिजनों ने बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे का आश्वासन दिया। इसके पश्चात सदस्यों द्वारा मां बाडी केंद्र एवं ंराजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में जानकारी ली।