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बांसवाड़ा : पीलिया, टाइफाइड व माता की माला बनाने वाले भूमिगत, सीएमएचओ ने भोपे के घर पहुंचकर समझाया

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बांसवाड़ाSep 19, 2018 / 02:26 pm

Varun Bhatt

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बांसवाड़ा : पीलिया, टाइफाइड व माता की माला बनाने वाले भूमिगत, सीएमएचओ ने भोपे के घर पहुंचकर समझाया

बांसवाड़ा. कुशलगढ़. खेड़पुर गांव में अंधविश्वास के चलते लच्छे की माला पहना कर उपचार का ढोंग करने वाले मंगलवार को खबर छपने के बाद भूमिगत हो गए। पत्रिका ने ‘बीमारियों पर अंधविश्वास की माला का तगड़ा शिंकजा’ शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद पीपली चौराहे पर पीलिया टाइफाइड व माता की माला बनाकर बेचने वाले शख्स भूमिगत हो गए। वहीं सीएमएचओ डॉ. पृथ्वीराज मीणा ने ग्रामीणों से भोपे के बारे में जानकारी कर मंगलवार को उसके घर पहुंचे। उन्होंने भोपे को मरीजों को भ्रमित नहीं करने व मरीजों को सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए भी सलाह देने के लिए प्रेरित करने को कहा। मरीजों को भ्रमित कर अंधविश्वास फैलाने पर भोपे खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने की हिदायत दी। सीएमएचओ ने गांव के युवाओ से भी चर्चा कर मरीजों के अंधविश्वास के चक्कर में नहीं पडऩे व उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने को प्रेरित किया।
मलेरिया का एक भी मरीज नहीं
बीसीएमओ डॉ. उज्जैनिया ने बताया कि सोमवार को लिए खून के नमूनों की जांच में मलेरिया का एक भी मरीज नहीं पाया गया। 10 मरीजों के खून की जांच में श्वेत रक्त कणिकाएं बढ़ी हुई पाई गई।
मलेरिया स्लाइड लेकर ही कर रहे संतुष्टि
सोमवार को लिए खून के नमूनों में सभी मरीजों में मलेरिया नेगेटिव आने के बाद भी विभाग के अधिकारी सिर्फ मरीजों की मलेरिया स्लाइड लेकर ही संतुष्टि कर रहे हैं। टीम ने मंगलवार को 23 मरीजों की मलेरिया स्लाइड ली। 13 मरीजों के ही खून के नमूने लिए। उज्जैनिया ने बताया कि जब तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ जाती तब तक टीम प्रतिदिन घर-घर जाकर मरीजों पर निगरानी रखेगी तथा जांच कर दवा देगी।
कुपोषण व खून की कमी भी वजह
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश भारद्वाज ने बताया कि खेड़पुर गांव में लोगों में वायरल संक्रमण की सबसे बड़ी वजह कुपोषण, अधिकांश मरीजों में खून की कमी व घरों के आसपास फैली गंदगी है। जांच में मरीजों के खून में हीमोग्लोबीन 6 से 7 ग्राम प्रतिशत ही पाया गया है। जबकि सामान्य मनुष्य के शरीर में इसकी मात्रा 12 से 18 ग्राम प्रतिशत होनी चाहिए। कुपोषण के शिकार मरीजों को वायरस जल्द चपेट में ले लेते हैं। ऐसे में समय पर उपचार नहीं मिलनें पर मरीज की हालत और गंभीर हो जाती है।

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