राजकीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में बच्चों को हरी सब्जी परोसने के आदेश के बावजूद उन्हें हरी सब्जी के नाम पर सिर्फ आलू-प्याज खिलाया जा रहा है। बच्चों को सप्ताह में एक बार भी हरी सब्जी नहीं दी जा रही है। ऐसे हालात की जानकारी भी कलक्टर तक पहुंच चुकी है। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि आलू-प्याज कोई हरी सब्जी नहीं होता है। उसका उपयोग नहीं करें। बच्चों को पालक खिलाएं। इसे शुक्रवार को भोजन मीनू रोटी-दल के अतिरिक्त पकाना होगा।
पालक अमरन्थेसी कुल का फूलने वाला पादप है,जिसकी पत्तियां एवं तने शाक के रूप में खाये जाते हैं। पालक में खनिज-लवण तथा बिटामिन पर्याप्त रहते हैं। इसके लोहे के अशं भी बहुत अधिक होते हैं। इससे लाल रक्त कणिकाओं की संख्या में इजाफा होता है। साथ ही माशपेशियों को भी यह मजबूती देता है। पाचन क्रिया में मददगार और त्वाचा रोग में भी कारगर है। ऐसे में कुपोषण को दूर करने में यह अति महत्वपूर्ण है। इसीलिए इस ‘सुपर फुड’ भी कहा जाता है। इसे दाल, खिचड़ी सहित अन्य साब्जियों व खाद्य सामग्री के साथ मिलाकर भी आसानी से पकाया जा सकता है। उपलब्धता में भी नहीं परेशानी: पालक की उपलब्धता में भी परेशानी नहीं है। गांव गांव में इसकी उपलब्धता सहज है और बाजार में भी अच्छी मात्रा में उपलब्ध है।
जिले में वर्तमान में 0 से 5 वर्ष के करीब 24 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। ऐसे ही कई कुपोषित बच्चे बढ़े होकर स्कूलों में पहुंचते हैं, जिन्हें अब विशेष आहार से फायदा होगा। डीईओ बंसीलाल रोत ने बताया कि शुक्रवार से इसकी पालना सुनिश्चत कर दी गई है। इसमें कोताही पर कार्रवाई की जाएगी।