यूं तो शहर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मटकीफोड़ कार्यक्रम भीतरी शहर में कालिका माता, महालक्ष्मी चौक, आजाद चौक में वर्षों पूर्व आयोजित हुए। सामाजिक और क्षेत्रीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में क्षेत्र के युवा ही मटकियां फोड़ते थे। करीब 42-45 वर्ष पहले युवाओं ने पीपली चौक स्थित रघुनाथ मंदिर में वृहद मटकीफोड़ कार्यक्रम की नींव रखी।
मटकीफोड़ कार्यक्रम की शुरूआत तीन मटकियां बांधकर की गई थी। आरंभ के वर्षों में ही यहां स्थित पीपल के पेड़ से बांधी रस्सी के ढीली होने के बाद स्थान बदलकर गांधीमूर्ति कर दिया। गांधीमूर्ति पर रघुनाथ हाड़ा के नाम से मटकीफोड़ कार्यक्रम मनाना शुरू किया। इसमें भवानी जोशी, रमणलाल टेलर, गिरिजाशंकर पंड्या, मुकुट जोशी, दिनेश वैष्णव, वीरेंद्र तंवर, महेश गृहस्थी, मुकेश जोशी, कन्हैयालाल शर्मा, हरीश शाह आदि की अहम भूमिका रहती थी। कई वर्षों तक यहां आयोजन के बाद दर्शकों की संख्या में वृद्धि हुई तो 1995 में इसे कुशलबाग में आरंभ किया।
कुशलबाग में कार्यक्रम के आरंभ होने के कुछ समय बाद ही सदस्य कन्हैयालाल शर्मा के दिवंगत हो जाने पर उनकी स्मृति में ट्रस्ट बनाया गया और उसके बैनर तले कार्यक्रम आरंभ किया जो आज तक निरंतर हो रहा है। कुशलबाग में शुरूआत के समय साधनों का अभाव होने पर तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष मणिलाल बोहरा ने पोल, बिजली, पानी, बेरिकेडिंग का सहयोग किया। इसके बाद से निकाय आयोजन में सारी सुविधाएं मुहैया करा रहा है।
मटकीफोड़ कार्यक्रम में एक बार 35 मटकियां बांधी गई थी। रमणलाल टेलर बताते हैं कि ट्रस्ट के संरक्षक जोशी के विधानसभा चुनाव के दौरान क्षेत्र के युवाओं को उत्सव में अवसर देने के लिए 35 मटकियां बांधी गई थी। इनमें पंजीकृत व्यायामशालाओं के पहलवानों के अलावा गांवों से आए युवाओं के दलों ने मटकियां फोड़ी थीं।