वीडियो में एक शख्स यह बता रहा है कि उसकी बच्ची अपने घर के पास ही खेल रही थी। उसके साथ गुप्त स्थान पर चोट लगी। इस पर वह बच्ची को लेकर महिला थाने गया, लेकिन वहां से उसे सदर थाने भेज दिया गया। फिर भी आरोपी को घर से थाने तक नहीं लाया गया है। वीडियो में बच्ची का पिता बता रहा है कि उसने बच्ची के बयान थाने में करवाए हैं। उसको पैसा चाहिए न कुछ और। बच्ची के साथ जो हुआ उसका न्याय चाहिए। उसने बताया कि वह पहले निजी हॉस्पीटल गया फिर महात्मा गांधी चिकित्सालय लेकर पहुंचा। वहां पूछताछ की तो बोला कि चोट लगी है। वीडियो में बताया गया है कि पैसा नहीं होने की वजह से कहीं लेकर नहीं गए। इसके बाद करीब 10-12 दिन बाद बच्ची का जब भय निकला तो उसने पूरी बात बताई। तब केस भी किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
5 अगस्त 2019 को हुआ समझौता पत्र सामने आया है जिसमें पिता की ओर से लिखा गया है कि गांव के बच्चों के साथ खेलते हुए 21 जुलाई को बच्ची की जांघ पर चोट लग गई। गलत फहमी की वजह से उसने पांच अगस्त 2019 को सदर थाने में एक श्ख्स के खिलाफ रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन उसकी बच्ची के खेलते समय चोट लगी। किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं घटी। इस बात को लेकर राजीनामा भी हो गया है। इस समझौता पत्र में पंचों का भी हवाला दिया गया है।
अगर छह वर्षीय बच्ची का पिता थाने पहुंचा तो उसके वीडियो एवं समझौता पत्र की जानकारी थाने में क्यूं नहीं ?
अगर बच्ची के साथ कोई गलत हरकत हुई तो पुलिस ने प्रकरण दर्ज क्यूं नहीं किया ?
अगर बच्ची के पिता द्वारा पुलिस के खिलाफ गलत वीडियो बनवाया तो उसकी जांच एवं कार्रवाई होनी चाहिए ?
पुलिस तक आखिर इस प्रकरण की जानकारी क्यूं नहीं ?
अगर मामला झूठा है तो वीडियो और समझौता पत्र कहां से आए इनकी भी जांच होनी चाहिए ?
मुझे इस बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं हैं।
बाबूलाल मुरारिया, सदर थाना प्रभारी नहीं जानकारी
इस तरह के किसी मामले की जानकारी नहीं है।
प्रभातीलाल, डिप्टी बांसवाड़ा