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बांसवाड़ा

जेल में बैठकर नई गैंग बना रहे राजस्थान के यह कुख्यात अपराधी, पुलिस की मिलीभगत से पहुंचे मोबाइल!

जमीन में गढ़े हुए मिले मोबाइल व अन्य सामान, जेल प्रबंधन की मिलीभगत का अंदेशा

बांसवाड़ाJul 05, 2018 / 12:19 pm

Ashish vajpayee

banswara

राजस्थान के इन कुख्यात अपराधियों तक जेल में पहुंचे मोबाइल, फिर मिलीभगत पर पर्दा डालने के लिए चलाया तलाशी अभियान

चेतन द्विवेदी. बांसवाड़ा. जिला कारागृह में बंद कुख्यात अपराधी इम्तियाज व अन्य की ओर से जिला कारागृह की बैरक नंबर दो से शहर में गैंग का संचालन किया जा रहा है और वहीं से फिरौती से लेकर अन्य आपराधिक षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। इसका खुलासा उस समय हुआ जब अपराधियों की गिरफ्तारी पर उनके तार जेल से जुड़े होना सामने आया। जिला कारागृह प्रबंधन ने अपनी लापरवाही और मिलीभगत पर पर्दा डालने के लिए आनन-फानन में तलाशी अभियान चलाया। इस पर बैरक नंबर दो से दो मोबाइल के अलावा अन्य सामान बरामद हुआ। कारागृह प्रबंधन ने बगैर उच्चाधिकारियों को सूचना दिए और कार्रवाई किए सामान नष्ट कर मामला रफा दफा कर दिया।
पर्दा डालने के खूब प्रयास
मामले में पहले तो जेल कार्मिक इस पर पर्दा डालते रहे। काफी देर तक जेल के कार्यवाहक प्रभारी हैड कांस्टेबल रूपलाल से बातचीत तो उसने बैरक नंबर दो से मोबाइल के अलावा कुछ बोतलें व अन्य सामान बरामद होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जेल में मिले सामान को नष्ट कर दिया है।
सच छिपाने के लिए ली तलाशी
सूत्रों के अनुसार आरोपी सिराज एवं उसके भाई इम्तियाज द्वारा अपनी गैंग से व्यापारियों से फिरौती मांगने और धमकाने की वारदातों सामने आई। पुलिस ने दो जुलाई को छह आदतन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से पिस्तौल सहित अन्य हथियार बरामद किए। इसके बाद जेल प्रबंधन की आरोपियों से मिलीभगत और लापरवाही की बातें सामने आई। जेल प्रबंधन ने खुद को फंसता देख और किसी बड़ी वारदात के अंदेशे से तीन जुलाई को बगैर उच्चाधिकारियों सूचना दिए तलाशी अभियान चलाकर बैरकों की गहन तलाशी ली।
गड्ढा खोदकर रखे थे मोबाइल
सूत्रों के अनुसार आरोपियों ने बैरक में गड्ढा खोदकर मोबाइल छिपा रखे थे। इससे सवाल यह है कि कड़ी सुरक्षा के बाद भी जेल के भीतर और बैरक में मोबाइल कैसे पहुंच? एेसे में जेल प्रबंधन की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इनका कहना है
मुझे इस घटनाक्रम बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन मैं इस मामले की जांच करवा लेता हूं।
डा. भूपेन्द्र सिंह, एडीजी कार्मिक (डीजी जेल) जयपुर

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