इनमें भी तीन बार तो कांता भील ही गढ़ी से प्रत्याशी रही और एक बार विधायक बनी। वैसे बांसवाड़ा को प्रदेश को पहली महिला विधायक देने का गौरव जरूर हासिल है। 1953 में हुए उप चुनाव में जीतकर यशोदा देवी पहली महिला विधायक बनी थी। यह उप चुनाव एसएसपी. पार्टी के बेलजी का चुनाव अवैध घोषित होने के कारण करवाया गया। इन दो के अलावा तीसरी महिला विधायक इस बार के चुनाव में कुशलगढ़ से रमीला खडिय़ा कांग्रेस के बागी के तौर पर निर्दलीय लडकऱ जीतकर आई है। शेष दो महिला प्रत्याशी गढ़ी से कांता भील और बांसवाड़ा से निर्दलीय शांता चुनाव हार गई। 2013 के चुनाव में घाटोल से रामली निर्दलीय व प्रेमिला बहुजन संघर्ष दल और कांता भील कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी और चुनाव हार गई। 2008 में गढ़ी से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कांता भील एकमात्र प्रत्याशी थी और जीत गई। 2003, 1998, 1993, 1990,1985 1980, 1977, 1972, 1967, 1962, 1951 एक भी महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं थीं।
इस बार सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी, विजेता कम रही
प्रदेश की दृष्टि से देखें तो भी हालांकि 2003 से 2018 तक चार चुनाव में महिला प्रत्याशियों की संख्या हर बार बढ़ी है और 1952 के पहले चुनाव की चार महिला प्रत्याशियों की तुलना में इस चुनाव में संख्या बढकऱ पचास गुना के आस पास आ गई है, लेकिन अभी भी आधी दुनिया के प्रतिनिधित्व के हिसाब से काफी कम है। इस बार ें महिला प्रत्याशियों की संख्या सबसे ज्यादा 189 रही। इनमें से 22 विधायक बनी हैं।