सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार की ओर से यह कदम इसलिए उठाया गया कि देश के किसानों को प्रारंभिक स्तर पर ही सही कृषि सामग्री उपलब्ध हो सके। जानकारों का मानना है कि चूंकि किसान उर्वरक और कीटनाशी की खरीदी डीलर से करता है, लेकिन सही कीटनाशी की जानकारी न तो किसान को होती है और न ही डीलर को। इससे अधिकांश किसान गलत कीटनाशी के इस्तेमाल के साथ सही मात्रा का उपयोग नहीं कर पाते और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान को लेकर ही विभाग की ओर से डीलर्स को प्रशिक्षित करने का कदम उठाया गया है। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद डीलर को डिप्लोमा सर्टीफिकेट दिया जाएगा।
कृषि अधिकारी आर के वर्मा ने बताया कि कीटनाशी डीलर्स के लिए बीएससी रसायन, बीएससी कृषि, बीएससी बॉयोलॉजी, बीएससी मानव विज्ञान एवं ऐसी कोई स्नातक डिग्री जिसमें रसायन विज्ञान से जुड़ी शिक्षा दी जाती है। वो डिग्री मान्य है। इसके साथ ही पुराने डीलर्स को राहत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 फरवरी माह तक छूट दी है। वहीं, विभाग की ओर से दिए जाने वाले प्रशिक्षण का डिप्लोमा दिया जाएगा। यह डिप्लोमा डीएईएसआई(डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्टेंशन सर्विसेज फॉर इनपुट डीलर) है। इसके तहत बांसवाड़ा में शुभारंभ हो चुका है। जिसमें मुख्य अतिथि कृषि अनुसंधान संभागीय निदेशक डॉ पीके रोकडिय़ा, कृषि विस्तार संभागीय निदेशक महेश वर्मा, कोर्स संयोजक डॉ आर एस त्रिपाठी और कृषि विस्तार उपनिदेशक भूरालाल पाटीदार उपस्थित रहे।
सरकार के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से डीलर को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके तहत बांसवाड़ा में 40 डीलर्स का प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया गया है। यह केंद्र सरकार के निर्देश पर किया जाएगा।
भूरा लाल पाटीदार, उप निदेशक कृषि विस्तार बांसवाड़ा