जिले के हाल
वर्ष- दुर्घटना- घायल- मृतक
2014- 430- 622- 178
2015- 368- 496- 182
2016- 382- 462- 190
2017- 177-258- 101…
कुल – 1357- 1838-651 शहर में ज्यादा हादसे
शहर की ही बात करें तो सिर्फ कोतवाली क्षेत्र में ही वर्ष २०१५ और १६ में ज्यादा हादसे हुए। २०१५ में ५५ दुर्घटनाओं में 21 लोगों की मौत हुई। वहीं, वर्ष 2016में 58 हादसों में 16 लोगों की मौत हुई। इतना ही नहीं घायलों की संख्या भी ज्यादा रही।
सभी बने बेपरवाह जिले में बड़ी संख्या में हो रहे हादसों के बाद भी जिम्मेदार नहीं चेते। इन सबके बावजूद न ही पुलिस, न ही अभिभावकों ने बच्चों को दुपहिया वाहन चलाने से रोका। जिस कारण बांसवाड़ा शहर हो या कोई कस्बा बच्चे बेखौफ हो सडक़ों पर फर्राटा भरते रहते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो इनकी नासमझी और नियमों का ज्ञान न होने के कारण सडक़ पर चल रहे अन्य लोगों के समाने संकट खड़ा हो जाता है। इस नौसिखियों के कारण रोजाना कोई न कोई छोटा मोटा हादसा होता रहता है।
तीन सवारियां और बिना हेलमेट है शौक सिर्फ फर्राटा ही नहीं इन दुपिहया वाहन चालकों को कायदे कानून और सुरक्षा की भी नहीं पड़ी है। कहीं पर आने जाने पर ये चालक हेलमेट को उपयोग तो न के बराबर करते हैं। और दोस्तों के साथ तीन सवारियां चलना तो इनका मानो शौक है।