निजी लैब का नेटवर्क बहुत ही चुप्पी के साथ संचालित किया जा रहा है। छोटी सरवन क्षेत्र का लैब संचालक वहां से संपर्कित शहर के लोगों को एमजी अस्पताल के हालात अपने तरीके से बताकर अपने यहां बुला रहा है। इससे कोरोना और सरकारी अस्पताल जाने से संक्रमण के और ज्यादा शिकार होने से भयभीत लोग इनकी शरण में आ रहे हैं। फिर शहर के रतलाम रोड स्थित दूसरी किसी की लैब में संदिग्धों को बुलाया जा रहा है। फिर वहां नमूने लेकर अहमदाबाद भेजे जा रहे हैं और उसके नतीजे बताकर बाकायदा सीधे होम आइसोलेट करने की गतिविधि भी चल रही है। जिले में बागीदौरा और कुशलगढ़ क्षेत्र में भी इसी तरह गुजरात से कोरोना जांच के नाम पर कुछ लोग सक्रिय होने के संकेत है, लेकिन चिकित्सा विभाग से अनुमत कोई भी नहीं है।
गुजरात से जांच में पॉजिटिव आए संक्रमितों की यहां किसी को जानकारी दिए बगैर होम आइसोलेट करने पर सिम्टेमेटिक मरीज से स्प्रेड की आशंका है। इससे उसके परिवार ही नहीं, आसपास के लोगों भी संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन इसकी कोई परवाह नहीं दिख रही है। इससे कोरोना की रोकथाम की कोशिशों को झटका लग रहा है, वहीं निजी लैब चांदी कूट रही है।
निजी लैब की पोल खोलने पत्रिका ने उसके ठिकाने पर पहुंचकर नमूना देने की पेशकश की। काउंटर पर उसे 3500 रुपए शुल्क बताकर बैठाया गया। फिर फोन कर असल लैब संचालक से बात कर दो दिन बाद आने को कहा गया। पैसा पूछने पर उसने सरकार की ओर से रेट घटाने से आगे अपनी फीस तय नहीं होना बताया, लेकिन नमूना लेकर जांच के लिए हामी भरी। उसके बाद जब पोल खुलने का संदेह हुआ, तो दूसरे दिन से लैब संचालक ने फोन रिसीव करना बंद कर बचाव में चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। हालांकि विभागीय अधिकारियों से इस सिलसिले में किसी के मिलने आने से इनकार किया।
शहर और जिले में कोई निजी लैब कोरोना टेस्ट कर या करवा रही है, इसकी कोई जानकारी में नहीं है। निजी लैब को परमिशन सीएमएचओ के जरिए जयपुर मुख्यालय से लेनी होती है। नतीजे भी उन्हें हर दिन बताने होते हैं। अब तक किसी भी लैब ने ऐसी स्वीकृति या जांच करवाने पर नतीजों की कोई जानकारी नहीं है। ऐसा कुछ है तो जांच करवाई जाएगी।