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बांसवाड़ा : अधिकारियों और कार्मिकों का अकाल, इसलिए त्योहारों में ही होती है जांच, बाकी समय मिलावटखोर बिंदास

locationबांसवाड़ाPublished: Oct 29, 2020 08:34:10 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

War For Pure Campaign – शुद्ध के लिए युद्ध अभियान : दो के मुकाबले एक सेनापति के बूते युद्ध, अधीनस्थ भी कामचलाऊ

बांसवाड़ा : अधिकारियों और कार्मिकों का अकाल, इसलिए त्योहारों में ही होती है जांच, बाकी समय मिलावटखोर बिंदास

बांसवाड़ा : अधिकारियों और कार्मिकों का अकाल, इसलिए त्योहारों में ही होती है जांच, बाकी समय मिलावटखोर बिंदास

दीनदयाल शर्मा/बांसवाड़ा. सरकारी फरमान पर तीज-त्योहार आते ही जिले में मिलावटखोरों पर प्रशासन और चिकित्सा विभाग की नकेल की कवायद होती रही है, लेकिन आमतौर पर इससे पहले या बाद में खाद्य पदार्थों की जांच को लेकर गंभीरता दिखलाई नहीं देती। इसके पीछे बड़ा कारण यह कि यहां पड़ताल के लिए पूरी और सक्षम टीम ही नहीं है। ऐसे में सख्त कार्रवाइयों से मिलावटखोरी पर अंकुश की बात बेमायने प्रतीत हो रही है। यह हकीकत इस बार भी शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में झोंकी टीम की पर्दे के पीछे की हालत बयां कर रही है। विभाग बीते तीन दिन में 13 जगह से नमूने लेकर प्रशासन और प्रदेशस्तर से वाहवाही लेने में भले ही जुटा है, लेकिन अंदरखाने दुर्दशा ही है। सूत्र बताते हैं कि कहने को विभाग में जांच अधिकारियों के दो पद स्वीकृत है, लेकिन इनमें से एक पांच साल से खाली है। मौजूदा एकमात्र खाद्य सुरक्षा अधिकारी अशोक गुप्ता भी दो साल से ही यहां है। इससे पहले तो उदयपुर, प्रतापगढ़ के अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार के बूते काम चलाया जा रहा था। फिर गुप्ता के आने पर जांच पड़ताल में कुछ तेजी आई, लेकिन सहयोगी स्टाफ के नाम पर यहां जब कोई पद ही नहीं है, तो सक्षम टीम का सवाल ही नहीं है। अमूमन सेंपलिंग के लिए जाने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी को मौका कार्रवाई के लिए एक-दो सहायक की जरूरत होती ही है। ऐसे में एक सहायक और वाहन सहित चालक की मदद सीएचएचओ कार्यालय से मिलने से काम चलाया जा रहा है। फिर घंटों तक फील्ड में सेंपलिंग प्रक्रिया के बाद दफ्तर लौटने पर रेकार्ड संधारण और आगे की कार्रवाई के लिए भी यहां लंबे समय से कंप्यूटर और ऑपरेटर की दरकार रही है, लेकिन वह भी उपलब्ध नहीं हैं। इसके चलते दूसरे सेक्शन के कर्मचारियों की मदद से कामचलाऊ व्यवस्था बनी हुई है।
अभी दुग्ध उत्पादों पर ज्यादा फोकस पर
सूत्रों के अनुसार अभियान में अभी फोकस दुग्ध उत्पादों, ड्राई फ्रूट, मिठाइयों और मिर्च-मसालों पर है, लेकिन इसके दीगर फास्ट फूड, बैकरी उत्पादों और अन्य कमोडिटी की पड़ताल की आवश्यकता है, लेकिन भानुमती का कुनबा जोड़कर बनाई टीम पूरा जिला कवर करने की स्थिति में नहीं दिखती। इससे तमाम कवायद औपचारिकता बन पड़ी है।
पहले दिन यह आई थी दिक्कत
यहां अभियान के पहले दिन ही लाचारी झलकी थी, जबकि दो टीमें बनाकर भेजने के बाद एक जगह जांच और नमूने लेने में खाद्य सुरक्षा अधिकारी को वक्त लगा, तो दूसरी जगह ऐहतियातन लगाए पुलिस और प्रशासन के अफसरों को लंबा इंतजार करना पड़ा। कारण स्पष्ट था कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी की मौजूदगी के बगैर सेंपल लेना मुमकिन नहीं था और एक व्यक्ति से एक ही जगह काम लिया जा सकता है।
इनका कहना है…
प्रदेश में कमी के चलते जहां पहले दो अधिकारी थे, वहां से एक हटाकर अन्यत्र लगाए गए। बांसवाड़ा में रुटीन के दिनों में सीएमएचओ कार्यालय से खाद्य सुरक्षा अधिकारी को मदद देते हैं, जबकि इन दिनों अभियान में सुबह प्रशासन की प्लाङ्क्षनग और जांच की व्यवस्था है।
-डॉ. वीके जैन सीएमएचओ
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