शहर में रातीतलाई में खेल छात्रावास तो है, लेकिन वह आठ-दस साल से खंडहर होने से इसमें प्रवेशित बच्चे भाड़े पर बाहर रह रहे हैं। नूतन स्कूल के अधीन छात्रावास से इस साल यहां हैंडबॉल के 3 और एथलेटिक्स के 6 यानी केवल 9 बच्चों का प्रवेश हुआ है और वे भी किराए पर कमरे लेकर रह रहे हैं। हॉस्टल में पिछले साल 17 बच्चे थे। एक वक्त था, जब यहां 35-40 बच्चे रहते थे। तब अच्छे बंदोबस्त के बूते बांसवाड़ा हैंडबॉल की टीम राज्य में चैम्पियन भी रही। फिर खिलाडिय़ों का मोहभंग हो गया। अब जब रहने और सुविधाओं का ही ठिकाना तक नहीं, तो अंदाजा लगाना सहज है कि बच्चों को खेलकूद की सुविधाएं किस तरह मिल रही हैं।
शहर के मध्य में बड़ा मैदान कुशलबाग स्कूल का है, लेकिन यह भी नगर परिषद के अधीन आयोजनों-प्रयोजनों के काम ही आ रहा है। खेलों के लिहाज से इस मैदान की बुरी दशा है। इसके अलावा कॉलेज मैदान भी बगैर सार-संभाल के उबड़-खाबड़ और पथरीला है, जहां शौकिया तौर पर ही बच्चे-बड़े कभी कभार खेलते दिखलाई देते हैं।
यहां बड़ी गुंजाइश नौकायन की है। माही बांध और आसपास के इलाकों में नौकायन में युवतियों का भी गजब का स्टेमिना है, लेकिन इन्हें प्रशिक्षित करने और आगे लाने के कोई प्रयास नहीं हुए हैं। सरकारी स्तर पर भी साल में एक बार माही महोत्सव के तहत महज मनोरंजन के लिए प्रतिस्पद्र्धाएं होती हैं और उनके भी विजेताओं को बाद में कोई नहीं पूछता।
अब कहने को यहां क्रिकेट, हॉकी, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, चेस, एथलेटिक्स समेत विभिन्न खेलों और इनके खिलाडिय़ों पर मशक्कत हो रही है। कुछ एसोसिएशन सक्रिय भी हैं, लेकिन सरकार से अपेक्षित मदद और प्रतिभाओं को संवारने के नाम पर कुछ दिखलाई नहीं दे रहा। मार्शल आर्ट, फुटबॉल जैसी कुछ विधाओं में कोशिशें निजी स्तर पर ही हो रही हैं।
माही की गोद में पले-बढ़े तैराकी में सिद्धहस्त बच्चे यहां हजारों की संख्या में है। तैराकी का प्रशिक्षण देकर इनमें कौशल विकसित कर आगे लाने की दिशा में वर्षों बाद अब सरकार की मेहर हुई है। हाल ही सरकार ने टीएडी के जरिए चार करोड़ की लागत का अंतरराष्ट्रीय स्तर का तरणताल बनाने की घोषणा की है। इससे अब भविष्य में बांसवाड़ा से अच्छे तैराक निकलने की उम्मीद जगी है।
खेल गतिविधियों पर गौर करें तो यहां केवल जनजाति खेल छात्रावास में तीरंदाजी पर ही फोकस है। एक समय था कि राज्य की हैंडबॉल की टीम बांसवाड़ा में बना हुआ करती थी, कारण कि तब बांसवाड़ा से एक से बढकऱ हैंडबॉल के खिलाड़ी थे। चंद वर्षों में सब मटियामेट हो गया। अब हैंडबॉल के खिलाडिय़ों को संवारने के कुछ प्रयास शुरू हुए हैं, लेकिन वे नाकाफी हैं।
जिले में खेलों और खिलाडिय़ों के विकास की काफी संभावनाएं हैं। हमने जिला खेल स्टेडियम में बैठक व्यवस्था सुधारने फुटबॉल मैदान बेहतर बनाने, बैडमिंटन कोर्ट के आसपास क्षेत्र विस्तार, खो-खो, हैंडबॉल के मैदान विकसित करने के प्रस्ताव भेजे हुए हैं। नौकायन भी बांसवाड़ा जिले में एक बेहतरीन विधा है। इसके लिए भी प्रयास करेंगे।
धनेश्वर मईड़ा जिला खेल अधिकारी बांसवाड़ा