पंखों का फैलाव 250 सेन्टीमीटर तक इसका शरीर श्वेताभ धूसर रंग के परों से ढंका होता है। गर्दन के ऊपर की त्वचा गहरे लाल रंग की होती है और कानों के स्थान पर सलेटी रंग के पर होते हैं। इसकी लंबाई 176 सेमी तक और औसत भार 7.3 किलोग्राम तक होता है। इनके पंखों का फैलाव 250 सेमी तक हो सकता है। इनका मुख्य निवास स्थान दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, तालाब, झील, और धान के खेत होते हैं। ये मुख्यत: शाकाहारी होते हैं और कंद, बीज और अनाज के दानों को ग्रहण करते हैं। सारस पक्षी का संपूर्ण जीवन काल 18 वर्षों तक हो सकता है।
संख्या में लगातार आ रही है गिरावट एक अध्ययन के अनुसार सारस की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, लेकिन राजस्थान में हाड़ौती अंचल के बाद वागड़ ही एकमात्र अंचल है जहां बड़ी संख्या में भारतीय सारस प्रजनन करते दिखाई दिए हैं। पक्षी विज्ञानी डा एस पी मेहरा बताते हैं कि यहां के जलस्रोतों में पाई जाने वाली वनस्पति और धान के खेत इन पक्षियों की पसंदीदा जगह हैं।
प्रेम और समर्पण का प्रतीक इस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक मानते हैं। यह पक्षी अपने जीवन काल में मात्रा एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद सारस युगल पूरे जीवन भर साथ रहते हैं। यदि किसी कारण से एक साथी की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा बहुत सुस्त होकर खाना पीना बंद कर देता है जिससे प्राय: उसकी भी मृत्यु हो जाती है।
बर्ड फेस्टीवल साइट का किया निरीक्षण बांसवाड़ा . महोत्सव के तहत 8 जनवरी को होने वाले बांसवाड़ा बर्ड फेस्टीवल के लिए जिला प्रशासन टीम ने पर्यटन उन्नयन समिति संरक्षक जगमालसिंह के नेतृत्व में मंगलवार को कूपड़ा स्थित फेस्टीवल साइट का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों से चर्चा की। संयोजक कमलेश शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी शैलेन्द्र भट्ट, सरपंच राजूभाई डामोर , विनोद जोशी ने पक्षियों पर आधारित प्रदर्शनी व प्रतियोगिताओं के लिए लगाए जाने वाले टेण्ट, टेटू पेंटिंग के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं के संबंध में बताया।