scriptWomen’sDay : महिला दिवस पर एसपी तेजस्विनी गौतम ने लिखी यह शानदार कविता, पढकऱ आप भी कहेंगे “मैं क्यूँ बदलूँ ?” | This beautiful poem written by SP Tejaswini Gautam on Women's Day | Patrika News
बांसवाड़ा

Women’sDay : महिला दिवस पर एसपी तेजस्विनी गौतम ने लिखी यह शानदार कविता, पढकऱ आप भी कहेंगे “मैं क्यूँ बदलूँ ?”

www.patrika.com/banswara-news

बांसवाड़ाMar 08, 2019 / 05:09 pm

deendayal sharma

banswara

Women’sDay : महिला दिवस पर एसपी तेजस्विनी गौतम ने लिखी यह शानदार कविता, पढकऱ आप भी कहेंगे “मैं क्यूँ बदलूँ ?”

बांसवाड़ा.

मैं क्यूँ बदलूँ ?
मेरी सूरत, मेरी सीरत, तेरे हिसाब से,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
मेरी अदा, मेरी बोली, तुझे रिझाने को,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
वो खाकी जितनी तेरी है, मेरी भी, फि र
मैं क्यूँ बदलूँ ?
तू हीरा खाकी का,
मैं उस पर बोझ,
इस स्वीकृति को मैं क्यों तरसूँ ?
लंबे बाल पसंद हैं मुझे,
तेरी तरह छोटे-छोटे बाल,
मैं क्यों रखूँ ?
वो मर्दाना अंदाज़,
खाकी,
तेरी ज़रुरत तो नहीं,
तो फि र,
सिर्फ तेरी सोच की खातिर,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
मेरी क़ाबिलियत मुझसे है,
तुझे कुछ साबित करने को,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
सिर्फ इसलिए कि तू चाहता है,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
हाँ मुझे नाज़ है मेरी खाकी पर,
हिन्द की रक्षा का वो वचन मैंने भी खाया है,
मेरे लोग, मेरा देश, मेरा कर्तव्य,
याद है मुझे,
तेरे जैसा बनने को फि़ र,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
ये खाकी मेरी, मुझसे मैं मांगती है,
तो फि र,
मैं, तू में क्यों बदलूँ ?
तू अपना सिक्का, मैं अपनी पहचान,
तेरा पौरुष, मेरा सम्मान,
किसी के लिए भी, आखिऱ,
मैं क्यूँ बदलूँ ?
महिला दिवस पर काव्य रचना- तेजस्विनी गौतम, पुलिस अधीक्षक बांसवाड़ा

Home / Banswara / Women’sDay : महिला दिवस पर एसपी तेजस्विनी गौतम ने लिखी यह शानदार कविता, पढकऱ आप भी कहेंगे “मैं क्यूँ बदलूँ ?”

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो