खतरे के निशान से ऊपर घाघरा घाघरा नदी का पानी भले ही तेजी से घट रहा हो लेकिन अभी भी वह खतरे के निशान से 24 सेमी. ऊपर बह रहा है। नदी (Ghaghra River Flood) का पानी कम होने के बाद भी तराई के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों बधौली पुरवा, टेपरा, भैरवकोल, सरायं सुरजन, तेलवारी, सनावा, भयक पुरवा, परसावल, नव्वनपुरवा समेत गई गांवों में अभी भी पानी भरा हुआ है। जिससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना हुआ है। वहीं गांवों को जाने वाले संपर्क मार्गों पर पानी भरा होने से बाढ़ पीड़ितों आवागमन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
संकट में बाढ़ पीड़ित बाढ़ पीड़ितों के सामने दो वक्त की रोटी के साथ ही मवेशियों के लिए चारा जुटाने का संकट खड़ा होता जा रहा है। इससे बाढ़ पीड़ितों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ पीड़ितों (Ghaghra River Flood) के मुताबिक गांव का हालत काफी खराब है। घरों और रास्तों में अभी भी पानी भरा है। बाढ़ के पानी से तरह-तरह की बीमीरियां फैल रही हैं। ग्रामीणों के मुताबिक दो महीने मे पांच बार बाढ़ आ चुकी है। हम लोगों को कोई मजदूरी भी नही मिलती। जिसके चलते लम्बे परिवारों के लिये बाढ़ राहत सामग्री ऊॅट के मुंह में जीरा साबित हो रही है।
बाढ़ प्रभावितों की हर संभव मदद वहीं बाराबंकी के अपर जिलाधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि अभी भी घाघरा नदी (Ghaghra River) का जलस्तर खतरे के निशान से 24 सेंटीमीटर ऊपर है। बाढ़ के चलते कटान काफी हो चुकी है। एडीएम ने बताया कि तटबंध पर परिवारीजनों से उनकी समस्याओं को सुना गया और उन्हें राहत समग्री पहुंचाई जा रही है। एडीएम ने बताया कि जिनकी जमीनें कट गई हैं उन्हें नई जगह पर पट्टे के आवंटन की कार्रवाई की जा रही है, साथ ही जिनकी फसल का नुकसान हुआ है उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा। एडीएम ने बताया कि उन्होंने निर्देश दिये हैं कि अधिकारियों से टीम बनाकर जिन गांवों में ज्यादा समस्याएं हैं वहां पर दिन रात मॉनीटरिंग करें और संक्रमण न फैलने पाए इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम से शिविर लगाकर लोगों को दवाएं बटवाएं।