मामला बाराबंकी तहसील नवाबगंज के कोतवाली देवा अंतर्गत गाँव ढिढोरा, मुनिया पुरवा, जसवारा, रेउवा रतन पुर सहित देव गांव का है, जहां मंगलवार देर रात गांव के कुछ लोगों ने गांव में ही बिकने वाली शराब का सेवन किया। शराब पीने के कुछ ही समय बाद देखते ही देखते कई लोगों की हालत गंभीर रूप से बिगड़ गई। यह देख उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डाक्टर ए. के. सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गंभीर हालत में आये लोग स्प्रिट (शराब) का सेवन किये हुए थे। जिन्हे गंभीर अवस्था में ही लखनऊ ट्रामा सेंटर भेज दिया गया था, लेकिन लखनऊ ले जाते वक्त ही 6 लोगो की मौतें हो गयी। उधर एक के बाद एक मौतों से जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया।
सूत्रों की मानें तो सभी लोगो ने जहरीली शराब का सेवन किया था, लेकिन कैमरे के सामने कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। उधर आबकारी विभाग मामले में जहरीली शराब पीने से इंकार कर रहा है और मरने वाले लोगों को ठंड ही मुख्य वजह बता रहा है। साथ ही मृतक के परिजन भी दबी जुबान से मौत का कारण ठंड बता रहे हैं। मरने वालों में मुनिया पुरवा गांव के (30)रामफल, व कमलेश (40) हैं, जबकि देव गाँव के नौमीलाल और ढिढोरा गांव के (40) राकेश की मौत भी ठंठ लगने से बताई जा रही है। रेउवा गाँव के (35) उमेश, जसन वारा के (26) अनिल कुमार की भी मौत का कारण ठंड लगना बताया जा रहा है।
जाँच करने पहुंचे उपजिलाधिकारी नबाब गंज शुशील प्रताप सिंह ने पोस्टमार्टम के बाद मौत के स्पष्ट कारण की जानकारी देने की बात कही हैं। फिलहाल एक के बाद एक 9 लोंगो की मौत से गावों में मातम पसरा हैं !
पुलिस और प्रशासन मामले को दबाने में लगा हुआ है। बता दें कि दागी आबकारी निरीक्षक ओंकार
नाथ अग्रवाल पर पहले भी यही आरोप लगे थे। जिला प्रशासन का दावा है कि इन लोगों की मौत जहरीली शराब से नहीं बल्कि ठंड के कारण हुई है। राजधानी से तकरीबन 22 किमी की दूरी पर स्थित जिला बाराबकी में आबकारी विभाग के नाक के नीचे अवैध शराब की भट्टियां धधक रही है।
इन भट्टियों को लेकर न तो जिला प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है और न ही अबकारी विभाग। नतीजन लोगों के जहरीली शराब पीकर मरने का सिलसिला जारी है।