राजकीय विद्यालय में वर्तमान में एक से पांचवीं तक कक्षाएं संचालित हैं। किंतु शिक्षा विभाग ( Education Department ) के अधिकारियों एवं अध्यापकों की नामांकन बढ़ाने में रुचि नहीं होने के कारण नए सत्र 2019-20 में यहां अभी तक एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ है। व्यवस्था के लिए वैसे तो यहां एक अध्यापिका लगा रखी है। किंतु बच्चे नहीं होने के कारण दिन भर वैसे ही बैठ कर वो भी वापस चली जाती है।
जानकारी के अनुसार, पिछले 5 साल पहले विद्यालय को सीनियर हाई सेकेंडरी स्कूल में मर्ज किया गया था। सीनियर सेकेंडरी विद्यालय में उस वक्त जगह की कमी के कारण यहां कक्षाएं संचालित कर रखी थी किंतु उच्च अधिकारियों की अनदेखी कारण दिनोंदिन बच्चों की संख्या घटने के कारण यहां अध्यापकों भी व्यस्त नहीं है।
राज्य सरकार के आदेश के अनुसार 15 जून से ही घर-घर जाकर नामांकन बढ़ाने के लिए अध्यापकों को जिम्मेदारी दी गई है लेकिन अध्यापकों द्वारा संपर्क नहीं करने से विद्यालय में अभी तक एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हो पाया है।
वर्ष 2018-19 में से यहां केवल 10 विद्यार्थी बचे हैं। इनके लिए यहां एक अध्यापिका लगा रखी है। किंतु वह बच्चे भी वर्तमान विद्यालय नहीं आ रहे हैं। 2 वर्ष पहले यहां विद्यालय में लगभग 200 बच्चों का नामांकन हुआ करता था किंतु इस शिक्षा सत्र में शुन्य है वही देख रेख के अभाव में अच्छा भला विद्यालय भवन खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। आजादी के समय से ही चला आ रहा राजकीय विद्यालय आज अध्यापकों की लापरवाही से बच्चों के अभाव में विद्यालय स्थाई रूप से बंद होने के कगार पर है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि एक समय था जब विद्यालय में रौनक ही अलग थी वहां बच्चों द्वारा पेड़ पौधे लगाकर हरियाली भी की हुई है वह भवन भी अच्छा था इसके बावजूद सरकारी आदेशों में उलझ कर विद्यालय का भविष्य गर्त में चला गया है वह देखरेख के अभाव में भवन भी खंडहर होता जा रहा है। ग्रामीणों ने प्राचार्य से विद्यालय में नामांकन बढ़वा कर कक्षाएं सुचारू रूप से चालू करवाने की मांग भी की है।