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बारां

जिले में बनेंगे 7 रिजर्व कंजर्वेशन, वन्यजीवों के रहवास का दायरा बढ़ेगा

बारां. जिले में वन्यजीवों के रहवास व सु²ढ़ीकरण के लिए के लिए राज्य सरकार की ओर से सात नए रिजर्व कंजर्वेशन बनाए जाएंगे। इसको लेकर वन विभाग की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

बारांJan 15, 2024 / 10:08 pm

Ghanshyam

जिले में बनेंगे 7 रिजर्व कंजर्वेशन, वन्यजीवों के रहवास का दायरा बढ़ेगा

जिले में बनेंगे 7 रिजर्व कंजर्वेशन, वन्यजीवों के रहवास का दायरा बढ़ेगा

बारां. जिले में वन्यजीवों के रहवास व सु²ढ़ीकरण के लिए के लिए राज्य सरकार की ओर से सात नए रिजर्व कंजर्वेशन बनाए जाएंगे। इसको लेकर वन विभाग की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। प्रबंधकीय कार्ययोजना अनुसार 7 रिजर्व कंजर्वेशन करीब 52 हजार 500 हैक्टेयर वनभूमि में बनाए जाएंगे। इन पर लगातार काम किया जा रहा है। इससे जिले में शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों के संरक्षण के साथ ही पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
यहां पर विकसित होंगे वन संरक्षित क्षेत्र
जिले के शाहाबाद क्षेत्र में 2, किशनगंज क्षेत्र में 2 तथा सोरसन-अन्ता क्षेत्र में 3 रिजर्व कंजर्वेशन की कवायद की जा रही है। जिले में कुल 2 लाख 23 हजार हैक्टेयर में वनक्षेत्र फैला है। इनमें से 8 हजार पांच सौ हैक्टेयर वन क्षेत्र शेरगढ़ सेन्चुरी में आता है। शाहाबाद क्षेत्र में दो रिजर्व कंजर्वेशन बनाए जाएंगे। शाहाबाद में 18 हजार 500 हैक्टेयर तथा तलहटी में 17 हजार 500 हैक्टेयर में रिजर्व कंजर्वेशन बनाया जाएगा। तलहटी क्षेत्र से मध्यप्रदेश की कूनो की सीमा महज आठ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। इस क्षेत्र में 13 खोह स्थित है। जो पर्यटन की ²ष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। वन्यजीवों के रहने की अधिक संभावना भी इसी क्षेत्र में है। यह क्षेत्र जैव विविधताओं से भी भरपूर है।
यह की जा रही तैयारी
रिजर्व कंजर्वेशन को विकसित करने के लिए पानी की व्यवस्था, तलाइयां, एनिकट तथा क्लोजर पर कार्य किया जा रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार संरक्षित क्षेत्र ऐसे क्षेत्र होते है जो राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभ्यारण्यों और आरक्षित, संरक्षित वनों के बीच बफर जोन या संयोजक और वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करते हैं।
पेड़-पौधों की भी कई प्रजातियों का घर
जिले के इस इलाके में न केवल वन्यजीवों के विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं, बल्कि यहां पर औषधियों व पेड़-पौधों की भी कई प्रजातियां पाई जाती हैं। क्षेत्र में करीब 180 प्रकार की पेड़ों व झाडिय़ों की प्रजातियां हैं। वहीं जिले में एक सर्वे में 569 प्रकार की पेड़-पौधों की प्रजातियों को चिन्हित किया गया है।
सोरसन भी संवरेगा
अन्ता क्षेत्र के सोरसन रिजर्व कंजर्वेशन क्षेत्र को तीन भागों में विभक्त किया गया है। जो 2 हजार हैक्टेयर में है। इस क्षेत्र में प्रवासी पक्षियो के साथ ही खरमोर प्रजनन सेन्टर का निर्माण होने से यह पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा। इस क्षेत्र के अमलसरा में पेन्टेड स्टॉक, कॉन क्रेन, बार हेडेडगूज, लेसर विसङ्क्षलग डक, कॉमडक, रुडिशल डक तथा सारस क्रेन समेत अन्य कई पक्षियो का रहवास रहता है। वहीं इस क्षेत्र में करीब 1500 से 2000 तक कृष्ण व अन्य प्रजाति के मृग देखे जा सकते हैं।
जंगलों की सुरक्षा के लिए दीवारें बनाएंगे
घोषित रिजर्व कंजर्वेशन में कच्ची या पक्की दीवारों के साथ ही पानी की व्यवस्था, तलाई, एनिकट तथा क्लोजर बनवाए जाएंगे।
बांझआवली केे जंगल चीता के लिए अनुकूल
किशनगंज के बांझआमली में 14 हजार 500 हैक्टेयर में रिजर्व कंजर्वेशन बनाया जाएगा। इसमें पूरी तरह से मानव गतिविधियों पर रोक रहेगी। इस क्षेत्र में घास के मैदान अधिक हैं। यह क्षेत्र आने वाले समय में चीतों की पसन्द बन सकता है। इसी क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व चीता भी आ गया था। रामगढ़ क्षेत्र में 4 हजार 500 हैक्टेयर में रिजर्व कंजर्वेशन बनाया जा रहा है।
& जिले में वन्यजीवो के रहवास व संरक्षण को लेकर 7 रिजर्व कंजर्वेशन पर कार्य किया जा रहा है। इसके प्रबन्धकीय व कार्य प्रपोजल फरवरी माह के अन्त तक राज्य सरकार को भिजवाए जाएंगे।
दीपक गुप्ता, डीएफओ, बारां

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