आयुर्वेदिक वनस्पति पर डाका डाल रहे तस्कर
वन विभाग की उदासीनता के चलते क्षेत्र में तस्कर सक्रिय हो गए हैं। सघन वन क्षेत्र से दुर्लभ वनस्पति की चोरी जोरों पर हैं। सोमवार रात वन विभाग ने सिरस की छाल से भरी एक गाड़ी जब्त की है।
बारां•Jan 23, 2019 / 01:21 pm•
Hansraj
आयुर्वेदिक वनस्पति पर डाका डाल रहे तस्कर
जिले में घुसे मध्य प्रदेश के तस्कर
सिरस की छाल से भरी पिकअप जब्त
बारां/शाहाबाद. वन विभाग की उदासीनता के चलते क्षेत्र में तस्कर सक्रिय हो गए हैं। सघन वन क्षेत्र से दुर्लभ वनस्पति की चोरी जोरों पर हैं। सोमवार रात वन विभाग ने सिरस की छाल से भरी एक गाड़ी जब्त की है। सिरस वनस्पति से आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण किया जाता है। आयुर्वेद में इसकी खासी मांग है। तस्कर इसकी तस्करी से मोटा मुनाफा कमाते हैं। क्षेत्रीय वनाधिकारी हफि ज मोहम्मद ने बताया कि कई दिनों से क्षेत्र में वन तस्करों की सूचना मिल रही थी। इस पर टीम बनाकर कुण्डा कोटरा के जंगलों में नाकाबंदी की तो मध्य प्रदेश के नम्बर की एक पिकअप आती हुई दिखाई दी।
उसे रोक कर तलाशी ली तो उसमे सिरस (गुराड़) की छाल की बोरियां भरी मिली। इसके बाद पिकअप को जब्त कर लिया गया। कार्रवाई के दौरान सहायक वनपाल श्यामभोई, सीताराम, आदि लोग मौजूद थे।
सहज उपलब्ध है यह वनस्पति
सहायक वन संरक्षक दीपक गुप्ता ने बताया कि शाहाबाद के जंगल मध्यप्रदेश के जंगल से सटे हैं। वहां के जंगलों में सिरस के पौधे बहुतायात में पाए जाते हैं। जिले के शाहाबाद के उपखंड के जंगलों में भी मध्यप्रदेश के जंगलों में पाई जाने वाली वनस्पति के पेड़ बड़ी तादाद में हैं। ऐसे में यहां भी तस्करी बढऩे लगी है। इससे जिले के वनकर्मी सतर्क हो गए हैं। शाहाबाद में की गई कार्रवाई इसका ही परिणाम है।
बनती है एंटी प्वाइजन दवा
आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य राधेश्याम गर्ग ने बताया कि सिरस के पेड़ दो प्रकार के होते हैं, एक काला सिरस व एक सफेद सिरस। आम बोलचाल की भाषा में इसे गुराड़ भी कहते हैं। सफेद सिरस की छाल में जो वनस्पति मिलती है, उससे एंटी प्वाइजन दवाइयों का निर्माण होता है। इसके अलावा यह यह प्रकार की औषधियों में भी काम में ली जाती है। इसके उपचार में कारगर होने से बाजार में खासी मांग रहती है।
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