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अब नोलाइयां जलाई तो होगी एफआईआर दर्ज

फ सलों की कटाई के बाद खेत में नोलाइयां जलाने से बाज नहीं आने वाले किसानों के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। यह निर्णय जिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई बैैठक में लिया गया। कृषि अवशिष्टों को जलाने से क्षेत्र में प्रतिदिन आगजनी की घटनाएं

बारांApr 18, 2019 / 08:28 pm

Hansraj

baran

अब नोलाइयां जलाई तो होगी एफआईआर दर्ज

जुर्माना भी लग सकता है
बारां. फ सलों की कटाई के बाद खेत में नोलाइयां जलाने से बाज नहीं आने वाले किसानों के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। यह निर्णय जिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई बैैठक में लिया गया। कृषि अवशिष्टों को जलाने से क्षेत्र में प्रतिदिन आगजनी की घटनाएं हो रही है।
जिला कलक्टर की अध्यक्षता में मिनी सचिवालय के सभागार में हुई बैठक में कृषकों को जागरूक करने के लिए कृषक गोष्ठी, व्यक्तिगत सम्पर्क से प्रचार-प्रसार करने के लिए निर्देशित किया। साथ ही कृषक द्वारा कृषि अवशिष्टों को जलाने से नहीं मानने पर कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से किसान के खिलाफ एफ आईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अनुसार यदि किसानों द्वारा इसके उपरान्त भी कृृषि अवशिष्ट जलाए जाते हंै ंतो 2 एकड से कम भूमि वाले किसानों पर प्रति घटना 2500 रुपए, 2 एकड से 5 एकड वाले किसानों पर प्रति घटना 5000 एवं 5 एकड से अधिक भूमि होने पर प्रति घटना 15000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है । ं प्रदुषण नियंत्रण एवं रोकथाम अधिनियम के तहत् कृृषि अपशिष्ट जलाने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी है। इसके तहत किसान को कारावास भी हो सकती है।
–यह होता है नुकसान
1-भूमि में कार्बनिक व जीवांश पदार्थ मृदा संसाधन का एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं परन्तु फसल अवशेष जलाने से यह अमूल्य पदार्थ नष्ट हो जाता है। ऐसे में भूमि की उर्वरता व उत्पादकता कम हो जाती है।
2- अवशेष जलाने से मृदा का तापमान बढ़ जाता ह। ै इससे मृदा में उपस्थित सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं जो कि मृदा जैव विविधता के लिए गम्भीर चुनौती है।
3- अपशिष्ट जलने पर भारी मात्रा में हानिकारक गैस मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साईड, सल्फरडाई ऑक्साइड आदि गैसें छोडी जाती है। परिणाम स्वरूप पृथ्वी का तापमान बढता है जिसके परिणाम स्वरूप जलवायु में विभिन्न परिवर्तन होते हैं।
5-कृषि अवशेषों को जलाने से मृदा का तापमान बढने से मृदा में उपस्थित मित्र कीट व फ फून्द नष्ट हो जाते हैं जिसके परिणम स्वरूप कींटो व फ फून्द को नियन्त्रित करने के लिऐ जहरीले कीट नाशकों का उपयोग करना पडता है। इससे मृदा भी प्रदूषित होती है । साथ ही उत्पादन लागत भी बढ जाती है।
यह कर सकते हैं ंकिसान
१-किसान फसलों के अवशेष को मिट््टी को पलटने वाले हल से मिट््टी में मिला दें, जिससे कार्बनिक क्षमता बढेगी ।
2. फसलो के अवशेष को स्ट्रा रीपर से भूसा बनाकर अपने पशुओ के लिए भंडारण कर सकते हैं।
3-अवशेष गोबर की खाद के साथ में मिलाकर वर्मी कंपोस्ट बना सकते है।
4-अवशेष बगीचे के थांवलों के चारों में डालकर मल्च का प्रयोग करते हुए पानी की वाष्पीकरण को रोक सकते हंै।
5- अवशेष बिजली बनाने वाली बायोमास कम्पनी को बेचा जा सकता है।

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