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बाढ़ से बचाव को खर्च कर दिए सात करोड़, फिर भी शहर में भर गया बरसाती पानी, इधर डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में अटकी

डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में फंसीबारां.. बाढ़ बचाओ योजना के तहत आनन-फानन में शुरू किया गया डायवर्जन चैनल निर्माण का कार्य अब तक अधूरा रहने से शहर में जल भराव से राहत नहीं मिल रही है। वर्ष 2017 में शुरू हुआ यह कार्य छह माह में पूर्ण किया जाना था। हालांकि जल संसाधन विभाग की ओर से करीब 26 सौ मीटर लम्बे डायवर्जन चैनल में से दो हजार मीटर लम्बाई में बेरियल का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन शेष रहे करीब 58 5 मीटर क्षेत्र में बेरियल (नाला) निर्माण कराने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। इस क्षेत्र में दो अलग-अलग पक्षों नेे उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लिया हुआ है। इसके चलते पिछले करीब डेढ़ वर्ष से तो 58 5 मीटर क्षेत्र में डायवर्जन का काम बंद पड़ा हुआ है। वहीं स्थगन आदेश निरस्ती को लेकर तारीख पर तारीख बढ़ती जा रही है। हाल ही में गत 14 अगस्त के बाद फिर एक ओर नई तारीख आ गई।इस तरह उपयोगी होगा डायवर्जन

बारांAug 21, 2019 / 03:23 pm

Shivbhan Sharan Singh

बाढ़ से बचाव को खर्च कर दिए सात करोड़, फिर भी शहर में भर गया बरसाती पानी, इधर डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में अटकी

बाढ़ से बचाव को खर्च कर दिए सात करोड़, फिर भी शहर में भर गया बरसाती पानी, इधर डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में अटकी,बाढ़ से बचाव को खर्च कर दिए सात करोड़, फिर भी शहर में भर गया बरसाती पानी, इधर डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में अटकी,बाढ़ से बचाव को खर्च कर दिए सात करोड़, फिर भी शहर में भर गया बरसाती पानी, इधर डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में अटकी

डायवर्जन चैनल की पूंछ स्टे में फंसी
बारां.. बाढ़ बचाओ योजना के तहत आनन-फानन में शुरू किया गया डायवर्जन चैनल निर्माण का कार्य अब तक अधूरा रहने से शहर में जल भराव से राहत नहीं मिल रही है। वर्ष 2017 में शुरू हुआ यह कार्य छह माह में पूर्ण किया जाना था। हालांकि जल संसाधन विभाग की ओर से करीब 26 सौ मीटर लम्बे डायवर्जन चैनल में से दो हजार मीटर लम्बाई में बेरियल का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन शेष रहे करीब 58 5 मीटर क्षेत्र में बेरियल (नाला) निर्माण कराने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। इस क्षेत्र में दो अलग-अलग पक्षों नेे उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लिया हुआ है। इसके चलते पिछले करीब डेढ़ वर्ष से तो 58 5 मीटर क्षेत्र में डायवर्जन का काम बंद पड़ा हुआ है। वहीं स्थगन आदेश निरस्ती को लेकर तारीख पर तारीख बढ़ती जा रही है। हाल ही में गत 14 अगस्त के बाद फिर एक ओर नई तारीख आ गई।
इस तरह उपयोगी होगा डायवर्जन
बारिश के दिनों में फोरलेन हाइवे व उपरी क्षेत्र का पानी कोटा रोड आरओबी के समीप फोरेस्ट नाले में पहुंचता है तथा गांधी कॉलोनी, हायर सैकंडरी स्कूल मैदान के सहारे, धर्मादा चौराहा, कोयला खिड़की व नयापुरा होते हुए बाण गंगा नदी में मिलता है। इस नाले में अधिक आवक होने के बाद पानी उफन कर अस्पताल रोड, धर्मादा चौराहा होते हुए प्रताप चौक, विक्रम चौक क्षेत्र में पानी का भराव हो जाता है। हाल ही में 15 अगस्त को हुई बारिश के दौरान भी यही हाल हुआ। शहर के प्रमुख मार्गो में जल भराव हो गया। पानी को शहर में भरने से रोकने के लिए जल संसाधन विभाग की ओर से डायवर्जन चैनल निर्माण की योजना पर काम शुरू किया गया था।
मंडी के आगे अटका काम
फोरेस्ट नाले के पानी को शहर के बाहर होते हुए निकालने के लिए कोटा रोड आरओबी के समीप फोरेस्ट नाले से डायवर्जन चैनल निकाला गया। इसे बालाजी राइस मील, वन विभाग कार्यालय, कृषि उपज मंडी होते हुए मेलखेड़ी रोड पर नलका नाले में बेरियल का मिलान करना है। इसके तहत कृषि मंडी तक भूमिगत बेरियल का निर्माण तो करा दिया गया है। वहीं दूसरी ओर नलका नाले से मंडी की ओर भी कुछ मीटर में खुला बेरियल बना दिया गया है।
अधूरी तैयारी, फिर तारीख पर तारीख
जल संसाधन विभाग की ओर से वन विभाग के आक्षेपों की पूर्ति के बाद वर्ष 2017 में करीब 6 करोड़ 99 लाख 48 हजार की लागत से डायवर्जन चैनल का काम शुरू किया, लेकिन इसकी राह में आने वाली जमीन का नियमानुसार अधिग्रहण नहीं किया। वहीं, स्थगन आदेश आ गए तो भी जनहित की इस महत्वकाक्षी योजना को लेकर गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। स्थगन आदेश निरस्त कराने को लेकर मजबूती से पक्ष नहीं रखने से तारीख पर तारीख बढ़ती जा रही है। अब तक करीब 12 तारीख हो गई, लेकिन बहस समाप्त नहीं हुई। इसी ढुलमुल रवैये के चलते करीब डेढ़ वर्ष का समय निकल गया।
& डायवर्जन चैनल का करीब 8 0 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। मंडी व नलका नाले के बीच करीब 58 5 मीटर क्षेत्र में दो जमीन मालिकों की ओर से स्थगन आदेश प्राप्त किया हुआ है। इससे करीब डेढ़ वर्ष से उक्त क्षेत्र में काम बंद है। विभाग की ओर से स्थगन आदेश निरस्त कराने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता को लगाया हुआ है।
सत्येन्द्र पारीक, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग

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