अधर में अटक गए धरतीपुत्र , 90 दिन पूरे, अब आगे क्या होगा?
isanबारां. समर्थन मूल्य पर जिले में चना व सरसों खरीद को मंगलवार को तीन महीने पूरे हो गए, आगे खरीद के लिए अब मैसेज आने बंद हो गए।
बारां. समर्थन मूल्य पर जिले में चना व सरसों खरीद को मंगलवार को तीन महीने पूरे हो गए, आगे खरीद के लिए अब मैसेज आने बंद हो गए। खरीद को लेकर ऊपर से भी कोई आदेश या सूचना मंगलवार शाम तक नहीं मिली थी। ऐसे में फिलहाल चना व सरसों की सरकारी खरीद को लेकर मामला अधर में है। जिले में चना-सरसों की सरकारी खरीद गत १२ मार्च से शुरू की गई थी। चना खरीद के लिए पांच व सरसों खरीद के लिए छह केन्द्र बनाए गए थे। यह भी उल्लेखनीय है कि शुरुआत से अब तक जितने किसानों का पंजीयन हुआ है, उनमें से हजारों किसान अब तक उपज सरकारी केन्द्रों पर नहीं पहुंच पाए हैं।
पशोपेश में किसान
जिले में इस बार बड़े रकबे में चने की बुवाई की गई थी व उत्पादन भी भरपूर हुआ लेकिन खुले बाजार में चने के भावों में गिरावट रही। इस बीच सरकार की ओर से समर्थन मूल्य ४४०० रुपए प्रति क्विंटल दर से मार्च माह से चने की खरीद शुरू की गई। इससे किसानों को संबल मिला व हजारों किसानों ने पंजीयन कराया। अब खरीद अवधि पूरी होने के बाद बेचान से वंचित किसान फंस गए हैं। हजारों की तादाद में ऐसे किसान पशोपेश में हैं। खुले बाजार में अभी भी चने के भावों में कोई दम नहीं है। बारां कृषि उपज मंडी में मंगलवार को भी चने का औसत भाव ३१७० रुपए क्विंटल रहा।
बीच में कई बार आया व्यवधान
जिले में अन्ता, बारां, अटरू, छबड़ा व समरानियां में चना के लिए एवं अन्ता, बारां, अटरू, छबड़ा, छीपाबड़ौद व समरानियां में सरसों खरीद के लिए सरकारी केन्द्र संचालित किए गए। शुरूआत से अब तक चना व सरसों खरीद में व्यववधान भी आए। ऐसे में खरीद पर भी असर पड़ा। कई बार चने की गुणवत्ता के मामले को लेकर किसानों का विरोध भी सामने आया। चूंकि खुले बाजार से सरकारी कांटे पर भाव अधिक होने से किसानों का रूझान सरकारी कांटों की ओर रहा लेकिन अब उनके सामने अजीब स्थिति खड़ी हो गई है।
सरकारी केन्द्रों पर चना-सरसों बेचने के लिए मार्च माह से ही किसानों ने पंजीयन कराना शुरू कर दिया था। चना बेचने के लिए १७ हजार ८७५ किसानों ने व सरसों बेचान के लिए ३४५१ किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन कराया। अब मंगलवार तक पंजीकृत किसानों में से चने वाले केवल ९५१७ व सरसों वाले २२०० किसान ही माल बेच पाए हैं। शेष वंचित किसानों का क्या होगा, स्थिति स्पष्ट नहीं है। सूत्रों के अनुसार पंजीकृत जितने किसान हुए, उनमें से भी पूरे किसानों को टोकन जारी नहीं हो पाए।