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बारां

बोझ बढ़ रहा, सुविधाएं नहीं

करोड़ों की लागत से वर्ष 2009 में बनकर तैयार हुए फोरलेन हाई-वे (राष्ट्रीय राजमार्ग-27) पर उसी वर्ष से टोल

बारांApr 06, 2016 / 11:27 pm

मुकेश शर्मा

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बारां।करोड़ों की लागत से वर्ष 2009 में बनकर तैयार हुए फोरलेन हाई-वे (राष्ट्रीय राजमार्ग-27) पर उसी वर्ष से टोल वसूली शुरू कर दी गई थी, तब से अब तक हर साल टोल दरें भी बढ़ती आ रही है, लेकिन सुविधाओं एवं सुरक्षा के मानदण्डों पर हाई-वे खरा नहीं उतर रहा। फर्राटेभरे सफर के बीच कई जगह हिचकोले दूर नहीं हुए तो निर्माण के कुछ वर्षों बाद ही जगह-जगह स्वरूप भी बिगड़ गया है। इन मामलों में अब तक सुधार नहीं हुआ है। हाई-वे की खामियों के मुद्दे कई बार जिला परिषद की बैठक में भी उठे तो प्रशासन की ओर से एनएचएआई को पत्र भी लिखे गए।

यहां होती जेब हल्की

यह हाई-वे कोटा से कस्बाथाना तक 171 किलोमीटर लम्बा है, इसी पर स्थित प्लाजाओं पर वाहन चालकों की जेब हल्की होती है, लेकिन हाई-वे की बिगड़ी दशा के कारण वाहन चालकों को टोल अखरता है। हाई-वे निर्माण के बाद वर्ष 2009 के सितम्बर माह में सीमल्या (कोटा जिला), अक्टूबर माह में बारां जिले के फतेहपुर व अप्रेल माह में मुंडियर टोल प्लाजा शुरू हुआ था।

ऐसे बढ़ता जा रहा हर साल बोझ

प्लाजा शुरू होने के बाद से हर वर्ष अप्रेल माह में टैक्स की दरें बढ़ रही है। शुरुआती समय में बारां जिले के शाहाबाद मार्ग स्थित फतेहपुर टोल प्लाजा पर कार-जीप, वैन आदि वाहनों के एक बार के 55 रुपए व दो बार के 85 रुपए दर थी जो अब क्रमश: 80 व 120 तक पहुंच गई है।
कोटा जिले के सीमलिया प्लाजा पर कार-जीप, वैन आदि वाहनों के शुरुआत में दरें एक बार के 30 रुपए व दो बार (24 घंटे में वापसी तक) के 45 रुपए थी जो अब क्रमश: 45 व 65 रुपए तक हो गई है। मुंडियर प्लाजा पर भी शुरूआती क्रमश: 50 व 70 रुपए दर बढ़कर अब 70 व 105 हो गई है। दूसरे वाहनों की टोल दरें भी खासी बढ़ी हैं।

छह साल में भी सुधार नही

वर्ष 2010 में राजस्थान पत्रिका के समाचार अभियान के बाद तत्कालीन जिला कलक्टर नवीन जैन ने अधिकारियों के लवाजमे के साथ जिले में पूरे हाई-वे का जायजा लिया था। उस समय कई कमियां सामने आई थी जिनमें कई जगह कट्स नहीं होने, कई जगह गलत कट्स होने, सम्पर्क सड़कों के अत्यधिक ढलान तथा उन पर गति अवरोधक नहीं होने जैसी कमियां भी सामने आई थी। उस समय अटरू रोड चौराहे पर पर्याप्त मात्रा में साइन बोर्ड लगाना, सर्विस रोड पर कृषकों द्वारा सुखाई गई फसल को हटाना, गजनपुरा मोड़ पर स्लीप लेन के पास की खाली भूमि को विकसित कर प्रतिमा लगाना जैसे कई कार्य कराना प्रस्तावित किया गया था, तब से अब तक सुधारात्मक कार्य अपेक्षित रूप से नहीं दिखे। कई जगह साइडों में सड़क धंस रही है तो कुछ जगह तो निर्माण के कुछ वर्ष बाद भी सूरत बिगडऩे लग गई थी जो अब तक ठीक नहीं हुई। शाहाबाद घाटी में वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हुई।

पत्थरों की रैलिंग

किशनगंज मार्ग पर पार्वती नदी की नई पुलिया की एप्रोच सड़क पर बनी रैलिंग वर्ष 2011 में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। उसके बाद यहां कुछ बड़े-बड़े पत्थर रखकर वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। तब से अब तक यहां इन्हीं पत्थरों से काम चलाया जा रहा है।


सफर में ऐसे होती परेशानी

हाई-वे पर पलायथा से केलवाड़ा के बीच के हिस्से में ज्यादा दिक्कत हैं। कई जगह सड़क बैठ रही है तो कहीं जगह गडढ्े हो रहे हैं। इससे वाहनों का संतुलन बिगड़ता है। पत्रिका टीम ने हाई-वे का जायजा लिया। इस दौरान 15 किलोमीटर के हिस्सेे में बावड़ीखेड़ा कट के पास गड्ढे मिले तो सम्बलपुर के निकट सड़क किनारे गड्ढा दिखा। पार्वती नदी की पुरानी पुलिया पर जम्पिंग अब तक दूर नहीं हुई है वहीं नई पुलिया की ज्वॉइंट सड़क ठीक से दुरुस्त नहीं दिखी। निर्माण की खामियों का ही नतीजा है कि निर्माण के कुछ वर्षों बाद ही हाई-वे पर जगह-जगह डामर की परतें बिछानी पड़ी है।


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