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बारां

मां के लिए बनाया, कॉलेज को थमाया, जिला अस्पताल में एमएमएनसीयू वार्ड में चल रहा नर्सिंग कॉलेज

जिला अस्पताल में सरकार की ओर से भवनों का निर्माण कराने पर लाखों की राशि व्यय की जा रही है, लेकिन स्टाफ की कमी ओर कुछ अन्य कारणों के चलते भवनों का अन्य कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। भवन मरीजों के नाम पर बनाए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों और तीमारदारों के लिए काम नहीं आ रहे। यहां कई माह पहले एमसीएच ङ्क्षवग का विस्तार करते हुए बनाए गए करीब 50 लाख की लागत के मातृत्व शिशु वार्ड (एमएमएनसीयू) का जच्चाओं के लिए उपयोग नहीं कर इसमें नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है। इसी तरह करीब 53 लाख की लागत से तीमारदारों के लिए बनाए गए प्रतीक्षालय भवन में सीएमएचओ के दवा भंडार की दवा व अन्य सामान रखकर ताले लगाए हुए हैं।

बारांMay 14, 2024 / 11:07 am

mukesh gour

जिला अस्पताल में सरकार की ओर से भवनों का निर्माण कराने पर लाखों की राशि व्यय की जा रही है, लेकिन स्टाफ की कमी ओर कुछ अन्य कारणों के चलते भवनों का अन्य कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। भवन मरीजों के नाम पर बनाए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों और तीमारदारों के लिए काम नहीं आ रहे। यहां कई माह पहले एमसीएच ङ्क्षवग का विस्तार करते हुए बनाए गए करीब 50 लाख की लागत के मातृत्व शिशु वार्ड (एमएमएनसीयू) का जच्चाओं के लिए उपयोग नहीं कर इसमें नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है। इसी तरह करीब 53 लाख की लागत से तीमारदारों के लिए बनाए गए प्रतीक्षालय भवन में सीएमएचओ के दवा भंडार की दवा व अन्य सामान रखकर ताले लगाए हुए हैं।

जिला अस्पताल में सरकार की ओर से भवनों का निर्माण कराने पर लाखों की राशि व्यय की जा रही है, लेकिन स्टाफ की कमी ओर कुछ अन्य कारणों के चलते भवनों का अन्य कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। भवन मरीजों के नाम पर बनाए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों और तीमारदारों के लिए काम नहीं आ रहे। यहां कई माह पहले एमसीएच ङ्क्षवग का विस्तार करते हुए बनाए गए करीब 50 लाख की लागत के मातृत्व शिशु वार्ड (एमएमएनसीयू) का जच्चाओं के लिए उपयोग नहीं कर इसमें नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है। इसी तरह करीब 53 लाख की लागत से तीमारदारों के लिए बनाए गए प्रतीक्षालय भवन में सीएमएचओ के दवा भंडार की दवा व अन्य सामान रखकर ताले लगाए हुए हैं।

लाखों की लागत से भवन बनाए, मरीजों के काम न आए

बारां. जिला अस्पताल में सरकार की ओर से भवनों का निर्माण कराने पर लाखों की राशि व्यय की जा रही है, लेकिन स्टाफ की कमी ओर कुछ अन्य कारणों के चलते भवनों का अन्य कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। भवन मरीजों के नाम पर बनाए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों और तीमारदारों के लिए काम नहीं आ रहे। यहां कई माह पहले एमसीएच ङ्क्षवग का विस्तार करते हुए बनाए गए करीब 50 लाख की लागत के मातृत्व शिशु वार्ड (एमएमएनसीयू) का जच्चाओं के लिए उपयोग नहीं कर इसमें नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है। इसी तरह करीब 53 लाख की लागत से तीमारदारों के लिए बनाए गए प्रतीक्षालय भवन में सीएमएचओ के दवा भंडार की दवा व अन्य सामान रखकर ताले लगाए हुए हैं।
यहां मांओं को हो रही परेशानी

सूत्रों का कहना है कि एसएनसीयू में भर्ती होने वाले बच्चों की माताओं और ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों से रैफर होने वाले नवजात शिशुओं को एसएनसीयू में भर्ती रखने के दौरान उनकी माताओं (जच्चाओं) को रखने के लिए मातृत्व वार्ड बनाया गया था। हालांकि प्रशासन ने कई महिनों पहले इस वार्ड का रंग-रोगन कर शहीद राजमल मीणा जिला अस्पताल को संभला दिया गया, लेकिन अब तक उसमें माताओं को नहीं रखा जा रहा है। वर्तमान में माताओं को एसएनसीयू के सामने ही दो कक्षों और सीढिय़ों के नीचे बेड लगाकर भर्ती रखा जा रहा है। यहां वे नवजात शिशुओं को दूध पिलाने में असहज महसूस करती हैं। माताओं के इस भवन में नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है। यहां नर्सिंग छात्र-छात्राएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
इधर, मरीजों के तीमारदार भी परेशान

तीमारदारों की सुविधा के लिए नीति आयोग के अधिकारियों के प्रयासों से एक कम्पनी की सीएसआर फंड से एमसीएच ङ्क्षवग परिसर में मदर मिल्क बैंक के समीप बनाए गए प्रतीक्षालय भवन पर लम्बे समय से दवा आदि को भरा हुआ है। तीमारदार भीषण गर्मी में अस्पताल परिसर में यहां-वहां बैठकर दोपहरी काट रहे हैं। सर्दी के दिनों में तीमारदार प्रसूती वार्ड के आसपास गलियारे में ही बिस्तर लगाकर सुस्ताते रहते हैं। जबकि प्रतीक्षालय भवन में लेट-बाथ और सुस्ताने के लिए प्रर्याप्त व्यवस्था है।
मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पहले ही एमएमएनसीयू को नर्सिंग कॉलेज संचालन के लिए दे दिया गया था। अब स्टाफ की व्यवस्था होने पर उच्चाधिकारियों के आदेशानुसार उसे शुरू करने का प्रयास किया जाएगा। प्रतीक्षालय को भी खाली कराने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. नीरज शर्मा, पीएमओ, जिला अस्पताल

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