Baran–मौसम ने बढ़ा दी किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें, पीले सोने की फसल लहलहा रही
बारां. जिलें के अटरू क्षेत्र में बसंत के आगमन से पूर्व किसानों के खेतों में पीले सोने के रूप में सरसों की फसल लहलहा रही है। मगर बदलते मौसम ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं।
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बारां. जिलें के अटरू क्षेत्र में बसंत के आगमन से पूर्व किसानों के खेतों में पीले सोने के रूप में सरसों की फसल लहलहा रही है। मगर बदलते मौसम ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं।
इस वर्ष सरसों का रकबा गत वर्ष की तुलना में आधे से भी घटकर काफी कम रह गया। अधिक समय तक बरसात होने व देर से बा आने के कारण जिले में ९० हजार हेक्टर लक्ष्य के विपरीत महज ५५ हजार हेक्टर में ही सरसों की बुवाई हो पाई। जबकि गत वर्ष एक लाख १६ हजार हेक्टर में सरसों की बुवाई की गई थी।
इस वर्ष गेहूं का रकबा बढ़ा है और आगे भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। गेहूं की एक लाख ७५ हजार हेक्टर में बुवाई हो चुकी है। और आगे भी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। वहीं गत वर्ष गेहूं की एक लाख ४५ हजार एक्टर में ही बुआई हुई थी।
कृषि विभाग के उप निदेशक अतीश कुमार ने बताया कि सरसों में वैसे ज्यादा चिंता का विषय नहीं है। लेकिन छोटे-मोटे रोग की आशंका यदि बनती है। तो किसान तुरंत उसके उपचार का जतन करें।
किसानों का कहना है कि कड़ाके की ठंड व कोहरे के कारण सरसों में रोग लग सकता है। कोहरे से तिलहन के साथ-साथ दलहन फसल को भी नुकसान हो रहा है। अक्टूबर माह में बोई गई फसलों में फूल आ गए हैं। हवा व कोहरे से इसमें नुकसान हो सकता है। जिसकी किसानों को चिंता सता रही है।
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