राज्यसभा चुनाव में दिखा सीएम योगी के मैनेजमेंट का जादू
बता दें कि संख्याबल के हिसाब से समाजवादी पार्टी को दो और भाजपा को सात प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली थी। लेकिन सपा ने तीसरे और भाजपा ने आठवें उम्मीदवार की जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी। ऐसे में चुनाव के मैनेजमेंट का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उठाया और ऐसा मैनेजमेंट किया कि समाजवादी पार्टी के पैरो तले जमीन खिसक गई।
दरअसल, वोटिंग से ठीक एक दिन पहले अखिलेश यादव की तरफ से दिए गए डिनर पार्टी में कई विधायक शामिल नहीं हुए। वहीं, आज मनोज पांडे के इस्तीफे के बाद सपा विधायक अभय सिंह ने जय रघुनंदन जय सियाराम और जय श्रीराम लिखकर संकेत देने की कोशिश की। इसके पहले वह विधायक राकेश प्रताप सिंह और विधायक राकेश पांडेय के साथ राज्यसभा चुनाव में वोट डालने पहुंचे थे।
वहीं, बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर सिंह ने भी ऐन वक्त पर भाजपा का समर्थन कर दिया। इनके अलावा सीएम योगी के दूत भेजे जाने के बाद राजा भैया की जनसत्ता दल ने भी भाजपा प्रत्याशी के समर्थन का ऐलान कर दिया। वहीं, रालोद के NDA में जाने के बाद उनके 9 विधायकों का भी समर्थन भाजपा प्रत्याशी को मिला है।
एक सीट के लिए 37 वोटों की जरूरत
यूपी विधानसभा में संख्या बल के हिसाब इस वक्त एनडीए के पास कुल 277 वोट हैं। एक सीट पर जीत के लिए 37 वोटों की जरूरत है। ऐसे में एनडीए के सभी उम्मीदवारों को 37-37 वोट दिए जाने के बाद एनडीए के पास 18 वोट बचते। रालोद के नौ विधायकों ने भी एनडीए के पक्ष में मतदान किया है। राजा भैया के जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के दो वोट भी मिलने के ऐलान के बाद आठवें प्रत्याशी को लेकर एनडीए की स्थिति काफी मजबूत हो गई थी। अब समाजवादी पार्टी में पड़ी फूट ने उसके आठवें उम्मीदवार की जीत को आसान बना दिया है ऐसा लग रहा है।