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बारां

चुनावी बंतळ : सोच बिचार कर दीजे बोट जो काम आव

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बारांNov 24, 2023 / 04:58 pm

mukesh gour

चुनावी बंतळ : सोच बिचार कर दीजे बोट जो काम आव

चुनावी बंतळ : सोच बिचार कर दीजे बोट जो काम आव

चाहे पार्टी हो या प्रत्याशी हर कोई वादों की सौगाते जनता को दे रहा है… लेकिन क्या ये वादे पूरे हो पाएंगे…. यह चर्चा घर-घर… हर गली हर नुक्कड़ पर है…. ऐसी ही चर्चा आप भी सुनें चुनावी बंतळ…. आपकी अपनी भाषा में…
भूली: फ्री…फ्री…फ्री… ये चुनाव आने पर पार्टियों को क्या फ्री फोबिया हो जाता..?

फूली: पता नहीं यार… जो भी हो हमें तो फायदा ही है।

भूली: खाळ बोट पडग़ा, चालगी काई…

फूली : चालंगा न, बोट तो देणो ही देणो छ:..
भूली : किख ताई देगी..

फूली : या म्हूं खामी बताऊं, म्हारो बोट छ: कोई न भी द्यू…

भूली : ठीक छ: बोट तो थ्हारो ही छ:.. पण कोई न भी मत दे दीज्ये, सोच बिचार कर अस्या नेता ने दीजे जो जीतबा क
पाछ: भी आपणी बात सुण .. गलत मनख जीत ग्यो तो पूरे पांच साल दुख देखणो पड़ ज्याग्यो…

फूली : या बात तो थन्ह चौखी खी, म्हारां तबादला क लेख म्हरां आदमी ने पाछली बार एमएलए के घणा चक्कर
काट््या, आखिर पिसा लेर ही मान्यो..अस्यां लोभी मनख को बोट ही न देणो छो, अबक पूरो ध्यान राखूंगी…

भूली : काई ध्यान राखगी, सारा एक जस्या छ:, जीतबा क पाछ: कोई पिसा ल्या बना काम न करबा हाळा.. चुणाव में अतनो खरचो कर छ:, फेर आपण सू ही वसूल छ: यह नेता लोग..
फूली : तो काई करू, कोई न भी बोट न द्यू.. ?

भूली: अर न बोट न देबो तो और भी बड़ो गलत काम हो जावगो… बोट तो जरूर देंगा.. आपणी ओर सू पूरो सोच-समझ देंगा.. आग कुण कस्यो कढ़ आपणी किस्मत…
फूली : चौखी अब चाला… घरहाळा बाट देखरया होवेगा…थ्हारो भी तो घरहाळो आग्यो होवेगो…

भूली : न म्हारां वाकी तो चुणाव म ड्यूटी लाग री छ: अब चुणाव करा र ही आवगा… पण आज बबलू का होमवर्क करानो छ: म्हूं भी जाऊ छू:
फूली : हां.. काळ की काळ देखी जाओगीे..

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