सुबह 4 बजे ही निकल जाते हैं तुड़ाई पर
वन क्षेत्र में तेंदू पत्ते की तुड़ाई के कार्य के लिए सहरिया समाज के परिवार के बड़े सदस्य सुबह चार बजे से ही जंगल में पहुंचकर पत्तों की तुड़ाई का कार्य शुरु कर देते हैं जो कि 6-7 बजे तक करते हैं। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य पहुंचकर पत्तो की गड्डियां बनाने के कार्य में जुट जाते हैं। शाम को संवेदक के केन्द्र पर गड्डियों को जमा करवाकर नकद भुगतान ले लेते हैं। करीब एक माह से अधिक समय तक पत्ते तुड़ाई का कार्य होता हैं।
जिले में बड़ी तादाद में हैं तेंदू के पेड़
जिले के लम्बे-चौड़े भूभाग में स्थित वन क्षेत्र में करीब एक करोड़ के लगभग तेंदू के पेड़ हैं। जिले में जैव विविधता के कारण जंगल काफी समृद्ध हैं। ऐसे में यहां तेंदू के पेड़ बड़ी तादाद में पाए जाते हैं। इनके पत्ते बीड़ी बनाने के काम में लिए जाते हैं। कोटा संभाग में बारां, झालावाड़, बूंदी में तेंदू के सर्वाधिक पेड़ मौजूद हैं, वहीं प्रदेश के उदयपुर, प्रतापगढ़, चितौडग़ढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर में भी तेंदू के पेड़ पाए जाते हैं।
चार से पांच हजार परिवारों का संबल टूटा
शाहाबाद वन क्षेत्र को संरक्षित घोषित होने से 5 इकाइयां टूट गई हैं। इसके चलते क्षेत्र के करीब चार से पांच हजार सहरिया परिवारों की आर्थिक आय प्रभावित हो गई है। ऐसे परिवार अन्य जगहों पर जाकर भी पत्ते नहीं तोड़ सकते हैं। एक परिवार तेंदू पत्ते के सीजन में 25 से 35 हजार रुपए तक अतिरिक्त आमदनी कर लेता है।
वन क्षेत्र में 29 इकाइयां शेष
नाहरगढ़, ढिकोनियां, सिमलोद, भंवरगढ़, किशनगंज,गरड़ा, समरानियां, खण्डेला, केलवाड़ा, खटका, औगाड़, मोटपुर, कुण्डी, गूगोर, जैपला, कडैयाहाट, हिंगलोट, झिनझिनी, सहजनपुर, सेतकोलू, हरनावदाशाहजी, सारथल, भावपुरा, बिलेण्डी, कोटडाभगवान, खेडला, बरसत, चैनपुरियां तथा पचकुई शामिल हैं। वहीं संरक्षित जोन घोषित होने से मुण्डियर, राजपुर, शाहाबाद, देवरी तथा बीलखेड़ाडांग इकाइयां कम हो गई हैं।
एक अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों को लेकर आया ये नया अपडेट, जानें क्या है नियम?
सबसे छोटी में 2 तथा बड़ी में 17 गांव
वन क्षेत्र की 29 इकाईयों में सबसे छोटी इकाई भावपुरा है, इसमें भावपुरा तथा बडाय फड़ हैं। इसमें 6 गांव शामिल हैं। वहीं दूसरी ईकाई बिलेण्डी हैं, इसमें बिलेण्डी तथा मालोनी शामिल हैं। इसमें पांच गांव शामिल हैं। कोटड़ा भगवान ईकाई में कोटड़ा भगवान तथा पाडल्या की झोपडिय़ां शामिल हैं, इसमें 4 गांव शामिल हैं। खेड़ला में खेड़ला व मिश्रोली के 6 गांव शामिल हैं। सबसे बड़ी फड़ नाहरगढ़ है। इसमें 17 गांव शामिल हैं। इस फड़ में नाहरगढ़, छत्रपुरा, झिरी, बालापुरा, खेड़ली, दुर्जनपुरा, मामली पटपड़ी, पचलावड़ा, पटपड़ी, लक्ष्मीपुरा, महोदरी नाथो की,बिलोदा, गिगचा, मोयदा, लकड़ाई, डोब तथा नेहरुपुरा शामिल हैं।
एक का ही टेंडर
29 में से 8 इकाइयों के लिए 26 मार्च को कोटा में टेंडर प्रक्रिया आयोजित की गई थी, लेकिन इनमें से महज एक इकाई का ही टेंडर हो पाया। बाकी सात इकाइयों के लिए किसी ने टेंडर नहीं डाला। इसके चलते विभाग ने निर्णय लिया है कि बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार को अलग-अलग इकाइयों की खुली नीलामी से टेंडर प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी। एक इकाई का कोटा में टेंडर 3.61 लाख में हुआ है।
वर्ष | उत्पादन (बोरी) | आय |
2018 | 39662 | 3.97 करोड़ |
2019 | 50841 | 1.32 करोड़ |
2020 | 31170 | 1.03 करोड़ |
2021 | 39653 | 5.06 करोड़ |
2022 | 56423 | 6.41 करोड़ |
2023 | 33757 | 1.62 करोड़ |
जिले के वन क्षेत्र में तेंदू पत्ते की तुड़ाई के लिए 29 इकाइयों की टेण्डर प्रक्रिया जारी हैं। इसमें 21 इकाइयों के टेण्डर हो चुके हैं। 8 के टेण्डर 26 मार्च को हो जाएंगे।
– अनिल यादव, उप वन संरक्षक, बारां