विज्ञान-वाणिज्य संकाय खुले तो बच्चों को मिले मौका
माध्यमिक विद्यालय की सालों से हो रही उपेक्षा के चलते क्षेत्र की प्रतिभाओं को मन माफिक विषय चयन के लिए समझौता करने पर बाध्य होना पड़ रहा है।
हरनावदाशाहजी. एक तरफ जहां शिक्षा के लिए सरकार विभिन्न लाभकारी योजनाएं लागू कर रही है वहीं दूसरी तरफ तहसील के सबसे बड़े दूसरे उच्च माध्यमिक विद्यालय की सालों से हो रही उपेक्षा के चलते क्षेत्र की प्रतिभाओं को मन माफिक विषय चयन के लिए समझौता करने पर बाध्य होना पड़ रहा है। ऐसे में दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले ज्यादातर बच्चों को केवल कला वर्ग विषय पढ़कर ही आगे की शिक्षा लेने की मजबूरी बनी हुई है।
बारां जिले के अंतिम छोर पर बसे हरनावदाशाहजी कस्बे के सरकारी स्कूल में कस्बे के अलावा झालावाड़ जिले के समीपवर्ती गांवों से छात्र-छात्राएं दाखिला लेने आते हंै, लेकिन यहां पर ग्यारहवीं कक्षा में कला संकाय के अलावा दूसरे विकल्प उपलब्ध नहीं होने से परेशानी होती है। ऐसे में बच्चों को विज्ञान, वाणिज्य, कृषि विज्ञान समेत अन्य विषय पढऩे के लिए कोटा या झालावाड़ भेजने की मजबूरी रहती है।
खोल कर बंद कर दिया
कस्बे में नब्बे के दशक में विज्ञान संकाय खोला गया था, लेकिन दो तीन साल बाद ही वापस बंद कर दिया। उसके बाद से ही बच्चों के सामने बडी समस्या बनी हुई है और पढ़ाई के लिए बाहर का रुख करने की मजबूरी बनी हुई है। लोगों का कहना हैं कि जिले के अंतिम छोर पर बसे होने के बावजूद उच्चाधिकारियों का विज्ञान विषय खोलने को लेकर कोई ध्यान नहीं है। जबकि छोटे-छोटे गांवों में जहां पर पढऩे वाले बच्चे ही नहीं थे, वहां पर विज्ञान विषय खोला जाना व्यवस्था की खामी को इंगित करता है।
लिखा है पत्र
भाजपा नगर अध्यक्ष संजय पारेता ने बताया कि विद्यालय में विज्ञान संकाय खोलने की मांग को लेकर गत दिनों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पत्र लिखा गया। उन्होंने बताया कि विज्ञान संकाय समेत दूसरे विषय खुल जाते है तो क्षेत्र के लोगों को काफी राहत मिलेगी।
& विज्ञान एवं अन्य उपयोगी विषय नहीं होने से प्रतिभाओं को यहां से अन्यत्र जाने की मजबूरी है। जबकि परीक्षा परिणाम बेहतर रहते है। शाला विकास प्रबंध्ंान समिति द्वारा विज्ञान एवं कृषि विज्ञान विषय खोलने की मांग का प्रस्ताव बनाकर भिजवाया गया है जबकि और भी लिखा जाएगा।
रतनलाल मेहरा, प्रधानाचार्य
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