सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आवेदन करने के बाद दस्तावेजों की जांच की जाती है। यह पता लगाया जाता है कि आशार्थी युवती ने सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी की है या नहीं की है। जांच में सही पाए जाने पर उसे बजट के लिए विभाग में भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में छह माह का समय लगता है।
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दावे नए, ढर्रा पुराना योजना का लाभ लेेने के लिए राजस्थान का मूल निवासी प्रमाण पत्र व विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र जमा कराना आवश्यक है। साथ ही बैंक खाता भी खुलवाना पड़ता है लेकिन वर्तमान में आवेदन करने वालों के बैंक में खाते भी आसानी से नहीं खुल रहे हैं। साथ ही मूल निवास प्रमाण पत्र व विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र बनाने में समय अलग से लगता है। सहायक निदेशक महिला अधिकारिता संजय कुमार भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि सात दिन में योजना का लाभ नहीं मिलता। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं कि सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी करने वाली युवतियों को एफडी देने के लिए जांच करने व बजट आने में छह माह का समय लग जाता है।
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1 करोड़ 60 लाख बांटे जिले में अप्रेल 2016 से मार्च 2017 तक 59 सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए थे। इसमें विवाह करने वाली युवतियों ने सरकारी लाभ के लिए आवेदन किया था। इसके तहत 1 करोड़ 60 लाख रुपए की एफडी बांटीे गई। इस वर्ष अप्रेल व मई में 54 सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए हैं।