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यहां खोदी तलाइयां
जलवाड़ा नाके में करीब एक दर्जन तलाईयां खुदवा दी गई है। नाका के अहमदी व नया गांव वन खंड में फूट तालाब के निकट 2 तलाई, सीआईजी प्लांटेशन में चतरा के टापरों के निकट 2 तलाई, पंडाली के निकट जंगल में 3 तलाई, नया गांव मंदिर के निकट एक तलाई, क्लोजर नं. तीन में 3 तलाई, क्लोजर नं.4 में 2 तलाई क्लोजर नं.एक में एक तलाई, हरिपुरा वॉच टॉवर के निकट जंगल में 4 तलाई खोद दी गई है। बमोरी में सहरशा तलाई, हांका क्लोजर में एक तलाई, गढूली में एक तलाई, कदिली बीड में एक तलाई खोद दी गई है। किशनपुरा नाके में कदिली बंजारा बस्ती के निकट एक तलाई, खल्दा गांव के निकट बांकडिय़ा में एक तलाई, लाठखेड़ा के सिमलोद मार्ग पर एक तलाई, छत्रगंज के निकट नाहरगढ रोड़ पर सब ग्रिड स्टेशन के निकट एक-एक तलाई, रामबिलास मार्ग पर एक तलाई खुदवा दी गई है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों ने महानरेगा में रेंज के नाहरगढ़, ढिकोनिया व सिमलोद नाके में भी कई तलाईयां खुदवा दी हैं।
यहां खोदी तलाइयां
जलवाड़ा नाके में करीब एक दर्जन तलाईयां खुदवा दी गई है। नाका के अहमदी व नया गांव वन खंड में फूट तालाब के निकट 2 तलाई, सीआईजी प्लांटेशन में चतरा के टापरों के निकट 2 तलाई, पंडाली के निकट जंगल में 3 तलाई, नया गांव मंदिर के निकट एक तलाई, क्लोजर नं. तीन में 3 तलाई, क्लोजर नं.4 में 2 तलाई क्लोजर नं.एक में एक तलाई, हरिपुरा वॉच टॉवर के निकट जंगल में 4 तलाई खोद दी गई है। बमोरी में सहरशा तलाई, हांका क्लोजर में एक तलाई, गढूली में एक तलाई, कदिली बीड में एक तलाई खोद दी गई है। किशनपुरा नाके में कदिली बंजारा बस्ती के निकट एक तलाई, खल्दा गांव के निकट बांकडिय़ा में एक तलाई, लाठखेड़ा के सिमलोद मार्ग पर एक तलाई, छत्रगंज के निकट नाहरगढ रोड़ पर सब ग्रिड स्टेशन के निकट एक-एक तलाई, रामबिलास मार्ग पर एक तलाई खुदवा दी गई है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों ने महानरेगा में रेंज के नाहरगढ़, ढिकोनिया व सिमलोद नाके में भी कई तलाईयां खुदवा दी हैं।
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तलाइयां तो हैं पर इनमें पानी नहीं रुकता
ग्राम पंचायतों के तलाईयां खुदवाने का मकसद श्रमिकों को रोजगार देना है। अधिकांश तलाईयां वहां खोदी गई है। जहां बारिश में पानी की आवक नहीं होती। इस कारण तलाईयां रीती पड़ी हैं। यानि सरकार के लाखों रूपये खर्च, पर्यावरण का नुकसान और पानी भी नसीब नहीं।
तलाइयां तो हैं पर इनमें पानी नहीं रुकता
ग्राम पंचायतों के तलाईयां खुदवाने का मकसद श्रमिकों को रोजगार देना है। अधिकांश तलाईयां वहां खोदी गई है। जहां बारिश में पानी की आवक नहीं होती। इस कारण तलाईयां रीती पड़ी हैं। यानि सरकार के लाखों रूपये खर्च, पर्यावरण का नुकसान और पानी भी नसीब नहीं।