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दिव्यांगों के लिए तीन प्रकार के विशेषज्ञ

गंभीर दोषों से ग्रसित दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का शिक्षा विभाग का प्रयास खानापूर्ति बन गया है। प्रतिवर्ष लगने वाले अभिभावक परामर्शदात्री शिविर में 21 तरह की दिव्यांगता वाले छात्र-छात्राएं व अभिभावक होते हैं, लेकिन बच्चों व अभिभावकों को जानकारी देने के लिए संदर्भ केन्द्रों पर तीन तरह के ही विशेष शिक्षक हैं।

बारांNov 16, 2018 / 12:02 pm

Dilip

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बारां. गंभीर दोषों से ग्रसित दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का शिक्षा विभाग का प्रयास खानापूर्ति बन गया है। प्रतिवर्ष लगने वाले अभिभावक परामर्शदात्री शिविर में 21 तरह की दिव्यांगता वाले छात्र-छात्राएं व अभिभावक होते हैं, लेकिन बच्चों व अभिभावकों को जानकारी देने के लिए संदर्भ केन्द्रों पर तीन तरह के ही विशेष शिक्षक हैं।
ऐसे में शेष 18 प्रकार के दोषों के बच्चे व अभिभावक कुछ समझ ही नहीं पाते है। वे शिविर पूरा होने पर बिना कुछ समझे ही वापस लौट जाते हैं। यही नहीं शिविर में भी मात्र 350 बच्चों व अभिभावकों को ही बुलाया जाता है, जबकि जिले में सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत्त दिव्यांग बच्चों की संख्या 2 हजार 582 हंै। प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा के अधीन सरकारी स्कूलों में 21 तरह की दिव्यांगता वाले छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
उक्त छात्रा-छात्राओं के लिए सातों ब्लॉकों में संदर्भ केन्द्र हैं। प्रत्येक संदर्भ केन्द्र में श्रवण बाधित, मानसिक विमंदता व दष्टि बाधित वाले छात्र-छात्राओं को अध्ययन कराने के लिए एक-एक विशेष शिक्षक है।
10 हजार होते हैं खर्च
छात्र-छात्राओं को चाय, नाश्ता, खाना व आने जाने का किराया भी उपलब्ध कराया जाता है। संदर्भ केन्द्र को 10 हजार रुपए बजट दिया जाता है। उक्त संदर्भ केन्द्र बारां, अंता, छबड़ा, अटरू, किशनगंज, शाहाबाद व छीपाबड़ौद में है।
शिविर में 350 को ही बुलाते हैं उक्त छात्र-छात्राओं को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए थेरैपी देने, पढ़ाने, लिखाने सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां देने के लिए प्रतिवर्ष सातों ब्लॉकों के संदर्भ केन्द्र में समग्र शिक्षा अभियान की ओर से अभिभावक परामर्शदात्री शिविर लगाया जाता है, लेकिन शिविर में 350 छात्र-छात्राओं व अभिभावकों को ही शामिल किया जाता है। अगले वर्ष फिर नए छात्रों व अभिभावकों को शिविर में शामिल किया जाता है। जबकि गत वर्ष शामिल छात्र-छात्राओं की तरफ ध्यान तक नहीं दिया जाता।
यह हंै 21 तरह के दोष
पूर्ण दृष्टिबाधित, अल्प दष्टि, श्रवण बाधित, वाक दोष, अस्थि बाधित, मानसिक बीमारी, अधिगम अक्षमता, प्रमस्तिष्क पक्षघात, स्वलीन व्यवहार, बहुविकलांगता, बौनापन, अनुवांशिक स्थिति, थैलेसीमिया, हिमोफिलिया, एसीड अटैक सहित अन्य दोष होते हैं।
& दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों की कमी है। चुनाव बाद शिक्षकों को लगाया जाएगा, जिससे दिव्यांग छात्र-छात्राओं का अध्ययन ज्यादा अच्छे से हो सके।
गणपतलाल मीणा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, बारां

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