टीबी एक गम्भीर बीमारी है, जो कि लंबे समय से जन सामान्य के स्वास्थ्य के लिए समस्या बनी हुई है। 21वीं सदी के लिए ये बीमारी एक गंभीर चुनौती है। जिला क्षय रोग अधिकारी सुधीर कुमार गर्ग ने बताया कि अभी भी पूरे विश्व में करीब 14 लाख लोगों की मृत्यु हर साल इसी बीमारी के कारण होती है। जिसमें अकेले 4.8 लाख मरीज भारत के हैं। विश्व के टीबी मरीजों की संख्या का एक चौथाई हिस्सा भारत में है। देश के टीबी मरीजों की संख्या का पांचवा भाग उत्तर प्रदेश में है। वर्ष 2016-17 में सरकारी अस्पतालों में 2,61,907 टीबी के मरीजों का पंजीकरण हुआ, जबकि निजी क्षेत्र में करीब आठ लाख टीबी के मरीज होने की संभावना है। बरेली जिले में हर साल करीब 6 हजार मरीज सरकारी क्षेत्र में पंजीकृत होते हैं।
सीएमओ डॉक्टर विनीत कुमार शुक्ला ने बताया कि टीबी के मरीजों की पहचान के लिए शुरू हुए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में जिले की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत 9,94,195 जनसंख्या को आच्छादित किया जाएगा। जिसके अन्तर्गत 95648 घर आएंगे। इस कार्य के लिए 197 टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम में तीन सदस्य रखे गए हैं। इस टीम के सदस्य जिले के चिन्हित हाई रिस्क एरिया में घर घर जाकर संभावित टीबी के मरीजों का बलगम जांच के लिए लेंगे और बलगम को जांच के लिए भेजा जाएगा। बलगम की जांच के लिए 26 केंद्र बनाए गए है। जांच में क्षय रोगी पाए जाने पर उस रोगी का तुरंत इलाज प्रारंभ कर दिया जाएगा। इस अभियान की निगरानी के लिए प्रत्येक पांच टीम पर एक पर्यवेक्षक की तैनाती भी की गई है।
दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी आना।
खांसी के साथ बलगम में खून आना।
शाम को बढ़ने वाला बुखार आना।
वजन का घटना एवं भूख कम लगना।