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आज के ही दिन अंग्रेजों से आजाद हुआ था बरेली

locationबरेलीPublished: May 31, 2019 04:47:15 pm

Submitted by:

jitendra verma

बरेली में रुहेला सरदारों ने अंग्रेजों को हरा कर 31 मई 1857 को बरेली को आजाद करा लिया था। लड़ाई में हार के बाद अंग्रेज नैनीताल भाग गए थे

Bareilly was freed from British today

आज के ही दिन अंग्रेजों से आजाद हुआ था बरेली

बरेली। अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में बिगुल भले ही मेरठ से फूंका गया था लेकिन इसकी आंच बरेली में भी आई थी और बरेली में रुहेला सरदारों ने अंग्रेजों को हरा कर 31 मई 1857 को बरेली को आजाद करा लिया था। लड़ाई में हार के बाद अंग्रेज नैनीताल भाग गए थे हालाँकि करीब 11 माह बाद अंग्रजों ने एक बार फिर रुहेलखंड पर हमला किया और रुहेलखंड पर कब्जा जमा लिया।
खान बहादुर खान ने लड़ी लड़ाई

1857 की क्रान्ति में अंतिम रुहेला सरदार खान बहादुर खान ने रुहेलखंड में अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था। खान बहादुर खान अंग्रेजी कोर्ट में बतौर जज कार्यरत थे उन्हें अंग्रेज़ों का विश्वास हासिल था और इसी विश्वास का फायदा उठाकर उन्होंने अपनी पैदल सेना तैयार कर ली थी खान बहादुर ने अपने कई सैनिकों को दूसरे राज्यों में अंग्रेज़ों से लड़ाई के लिए भेजा,31 मई 1857 को नाना साहब पेशवा की योजना के अनुसार उन्होंने रुहेलखंड मंडल को अंग्रेज़ों से मुक्त करा लिया सभी अंग्रेज़ उनके डर से नैनीताल भाग गए इसके बाद लगातार खान बहादुर खान का अंग्रेज़ों से संघर्ष चलता रहा इस बीच लखनऊ के अंग्रेज़ों के अधीन चले जाने से नाना साहब भी बरेली आ गए इसके बाद नकटिया पुल पर 6 मई 1858 में आखरी बार अंग्रेज़ों और खान बहादुर खान के बीच संघर्ष हुआ जिसमे भारतीयों को हार का मुँह देखना पड़ा।इसके बाद खान बहादुर खान नेपाल चले गए लेकिन राणा जंग बहादुर ने धोखे से उन्हें अंग्रेज़ों के हवाले कर दिया खान बहादुर खान पर मुक़दमा चलाया गया और उन्हें यातनाएं दी गयी। 22 फरवरी को कमिश्नर रॉबर्ट ने दोषी मानते हुए खान बहादुर खान को फांसी की सजा सुना दी और 24 मार्च 1860 को उन्हें पुरानी कोतवाली पर सरे आम फांसी दे दी गयी।
बेड़ियों में दफनाया गया
अंग्रेजों के खिलाफ जंग के लिए खान बहादुर खान ने अपने मुंशी शोभाराम की मदद से सेना तैयार की और अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था उनकी सेना के सामने अंग्रेजों ने घुटने टेंक दिए थे। अंगेजों के दिल में खान बहादुर खान का इतना खौफ था कि उनके शहीद होने पर पुरानी जिला जेल में बेड़ियों समेत दफना दिया था।
अभी भी मौजूद हैं तमाम निशानियां

बरेली में आजादी की लड़ाई की तमाम निशानियां मौजूद है। बरेली कॉलेज के छात्रों ने भी आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। सिविल लाइंस में स्थित नौमहला मस्जिद में क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए एकत्र होते थे। पुरानी जिला में खान बहादुर खान की मजार है जहाँ पर उन्हें बेड़ियों में कैद कर दफनाया गया था। कमीश्नरी में 257 क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया गया था। कैंट में स्थित बरेली किला जहाँ पर खान बहादुर खान को कैद किया गया था। फ्री विल बैप्टिस्ट चर्च यहाँ पर क्रांतिकारियों ने हमला कर करीब 40 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था।
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