विधयाक ने चलाया फावड़ा धर्मपाल सिंह ने पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी नदी की खुदाई गुरु द्रोणाचार्य के गांव गुरगामा से की। उनका कहना है कि प्रदेश में विलुप्त नदियों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया था इसकी शुरुआत 2 साल पहले गोमती नदी के उद्गम क्षेत्र पीलीभीत से की थी। सरकार की प्राथमिकता में यह आज भी है, इसी क्रम में आंवला विधानसभा की छुइया नहर जो कि महाभारतकालीन लीलौर झील से निकलती है और सोना, पलथा, केसरपुर, कल्याणपुर से निकलकर आलमपुर कोर्ट पर यह पीलिया नदी का रूप ले लेती है। पीलिया नदी बाद में अरिल नदी में मिल जाती है। पुनः इस नदी को जीवित करके जनता को सौंप दिए जाने का संकल्प लिया है और इसकी खुदाई शुरू की गई है। विधायक अगले 15 दिनों तक ग्रामीणों के साथ मिलकर नदी को पुनर्जीवित करने का काम करेंगे और गांव में ही टेंट लगाकर रहेंगे।
40 गांवों को होगा फायदा पीलीया नदी के पुनर्जीवित होने के बाद इसका फायदा 40 ग्राम पंचायत के लोगों को मिलेगा। इस नदी से 2 हजार बीघा कृषि योग्य भूमि की सिंचाई हो सकेगी साथ ही इलाके का भूगर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा। नदी की खुदाई में ग्रामीण श्रमदान करेंगे साथ ही इस नदी की खुदाई से 5500 श्रमिकों को काम भी मिल सकेगा। नदी की काफी जमीन पर मौजूदा समय में खेत भी है लेकिन अब ग्रामीण इस नदी की खुदाई को तैयार हो गए हैं जिसके लिए विधायक ने सभी ग्रामीणों का शुक्रिया भी अदा किया है।