1.75 लाख यात्रियों पर पड़ा प्रभाव नासिर कुरैशी का कहना है कि इस साल हज यात्रा को भी जीएसटी के दायरे में लाकर भारतवर्ष से जाने वाले लगभग 1.75 लाख हज यात्रियों से हवाई जहाज़ के किराये की रकम के साथ जीएसटी की भी वसूली की गई , जिस वजह से हज यात्रा पिछले वर्षों के मुकाबले काफी महँगी हो गई है। इस साल एक तरफ हज सब्सिडी खत्म किया जाना दूसरी और हज यात्रा को जीएसटी के दायरे में ले आना, इस दोहरी मार का बोझ हज यात्रियों पर पड़ा है, हज पर जाने की हर मुसलमान की इच्छा होती है और वो अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई में से पाई-पाई हज के लिये इकट्ठा करता है। उसका हज के लिये सीमित बजट होता है और इस छोटे से बजट में वो अपनी दिली इच्छा को पूरा करने के उद्देश्य से हज के लिये आवेदन करता है। लेकिन आए दिन हज के लिये बनाये जा रहे नए-नए नियम और हज पर लगाये जा रहे टैक्सेस उसके सीमित बजट में हज यात्रा के गणित को बिगाड़ देते है।
वापस की जाए जीएसटी की रकम उन्होंने कहा कि जहाँ तक मेरी मालूमात है, जीएसटी कानून में धार्मिक यात्रा को उससे मुक्त किया गया है, क्योंकि भारत में अलग-अलग धर्म के मानने वाले और भी अनुयायी हैं जो अक्सर तीर्थ के उद्देश्य से विदेश तीर्थ स्थलों पर जातें है। इस कानून को हज यात्रियों पर लागू किया जाना किसी भी स्थिति में सही नही है हज यात्री, अपने पवित्र हज को पूरा करने के इरादे से जाता है कोई व्यवसाय,व्यापार का उसका मकसद नही होता है। उन्होंने कहा कि इस लिए उन्होंने प्रधानमंत्री से निवेदन किया है कि हज यात्रा पर लगाया गए जीएसटी को तत्काल प्रभाव से खत्म कर इस साल केंद्रीय हज कमेटी द्वारा वसूली गई जीएसटी की रकम हज यात्रियों के खाते में वापस की जाये और भविष्य में हज यात्रा को सस्ता बनाने की दिशा में केंद्र सरकार उचित कदम उठाये। उन्होंने मांग की है कि हज जैसी और भी धार्मिक यात्राएँ टैक्स फ्री होनी चाहिये।