हलहरिणी अमावस्या का महत्व किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ मास में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसलिए इस दिन किसान हल की पूजा कर खेत की जुताई प्रारंभ करते हैं इसलिए इसे आषाढ़ी व हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। इसके अगले दिन यानी 3 जुलाई से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होगी, इन दिनों मां दुर्गा की गुप्त रूप से आराधना की जाएगी।
मंगलवार को हलहारिणी अमावस्या होने से हल पूजन, बजरंगबली का पूजन तथा पितृ पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन पितृ निवारण के लिए निम्न उपाय करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं।
अमावस्या पर करें यह उपाय
अमावस्या के दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराने का विशेष महत्व है।
इस दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप-कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे। यही पुण्य-कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे।
पितरों की प्रसन्नता और तृप्ति के लिए तर्पण दान अवश्य करें
इस दिन कालसर्प दोष निवारण हेतु सुबह स्नान के बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
शिव रुद्राभिषेक, पितृ दोष शांति पूजन और मंगलवार के उपाय और मंत्र जाप करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे
जिसे कालसर्प दोष हो, उन व्यक्तियों को अपने घर में शिवपूजन एवं हवन करवाना चाहिए।
शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं।। साथ ही दीये में थोड़ी-सी केसर भी डाल दें। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय है